झारखंड

नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार, झारखण्ड और उत्तर प्रदेश देश के सबसे गरीब राज्य हैं

Shantanu Roy
27 Nov 2021 11:02 AM GMT
नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार, झारखण्ड और उत्तर प्रदेश देश के सबसे गरीब राज्य हैं
x
नीति आयोग की रिपोर्ट (NITI Aayog Report) में बिहार, झारखंड व उत्तर प्रदेश देश के सबसे गरीब राज्य माने गए हैं. सूचकांक के अनुसार बिहार की 51.91 प्रतिशत जनसंख्या गरीब है.

जनता से रिश्ता। नीति आयोग की रिपोर्ट (NITI Aayog Report) में बिहार, झारखंड व उत्तर प्रदेश देश के सबसे गरीब राज्य माने गए हैं. सूचकांक के अनुसार बिहार की 51.91 प्रतिशत जनसंख्या गरीब है. वहीं झारखंड में 42.16 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में 37.79 प्रतिशत आबादी गरीब है.

सूचकांक में मध्य प्रदेश (36.65 प्रतिशत) चौथे स्थान पर है, जबकि मेघालय (32.67 प्रतिशत) पांचवें स्थान पर है. केरल (0.71 प्रतिशत), गोवा (3.76 प्रतिशत), सिक्किम (3.82 प्रतिशत), तमिलनाडु (4.89 प्रतिशत) और पंजाब (5.59 प्रतिशत) पूरे देश में सबसे कम गरीब लोग वाले राज्य हैं और सूचकांक में सबसे नीचे हैं.
रिपोर्ट के अनुसार भारत का राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनीशिएटिव (OPHI) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा विकसित विश्व स्तर पर स्वीकृत और मजबूत पद्धति का उपयोग कर तैयार किया जाता है.
बहुआयामी गरीबी सूचकांक में मुख्य रूप से परिवारकी आर्थिक हालात और अभाव की स्थिति को आंका जाता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के एमपीआई में तीन समान आयामों- स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर का मूल्यांकन किया जाता है.
इसका आकलन पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, प्रसवपूर्व देखभाल, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने के ईंधन, स्वच्छता, पीने के पानी, बिजली, आवास, संपत्ति तथा बैंक खाते जैसे 12 संकेतकों के जरिए किया जाता है.
वर्ष 2015 में 193 देशों द्वारा अपनाए गए सतत विकास लक्ष्य (SDG) रूपरेखा ने दुनिया भर में विकास की प्रगति को मापने के लिए विकास नीतियों और सरकारी प्राथमिकताओं को फिर से परिभाषित किया है.
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार (NITI Aayog Vice Chairman Rajiv Kumar) ने सूचकांक की प्रस्तावना में कहा कि भारत के राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक का विकास एक सार्वजनिक नीति उपकरण स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान है. यह बहुआयामी गरीबी की निगरानी करता है, साक्ष्य-आधारित और केंद्रित हस्तक्षेप के बारे में बताता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी पीछे न छूटे.


Next Story