झारखंड

1883 से हुई थी शुरुआत, देवघर बाबा मंदिर में बेलपत्र की अनोखी प्रदर्शनी

Gulabi Jagat
26 July 2022 6:26 AM GMT
1883 से हुई थी शुरुआत, देवघर बाबा मंदिर में बेलपत्र की अनोखी प्रदर्शनी
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बिल्वपत्र
देवघरः बिल्वपत्र (बेलपत्र) भगवान शिव को अति प्रिय है, बिना इसके भगवान शिव की पूजा अधूरी मानी जाती है. सावन के महीने में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. बेलपत्र चार प्रकार के होते हैं और हर किसी का अपना अलग महत्व है. निराले औघड़ दानी बाबा भोलेनाथ को सावन मास में भरपूर मात्रा में जल और बेलपत्र समर्पित किया जाता है. देवघर बाबा मंदिर में श्रावणी मेला में हर साल लगने वाली बेलपत्र की अनोखी प्रदर्शनी भगवान और भक्त के इसी प्रेम को दर्शाता है.
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा बैद्यनाथ धाम की परंपराएं निराली एवं अद्वितीय हैं यहां की अनोखी और पुरानी परंपराओं में से एक है बाबा बैद्यनाथ धाम में लगने वाली बिल्वपत्र की प्रदशनी है. बेलपत्र जिसके बारे में कहा जाता है कि इसको शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं. यहां लगने वाले बिल्वपत्र का प्रदर्शन देखकर भक्त भी भाव बिभोर होते हैं. बाबा भोले के तीन नेत्र हैं और बेलपत्र की तीन पट्टी, इसी का सूचक है. वर्षों से बाबा बैद्यनाथ के दरबार में ही बिल्वपत्र की आकर्षक प्रदर्शनी लगाई जाती है. यह सावन मास भर चलता है. आषाढ़ संक्रांति के अवसर पर बाबा मंदिर में बिल्वपत्र सजाने की शुरुआत की जाती है तथा सावन संक्रांति को इसका समापन होता है. इसके लिए पुजारी बिहार, झारखंड के विभिन्न जंगलों से बेलपत्र खोजकर लाते हैं और उसे प्रदशनी के दिन चांदी या स्टील के थाल पर सजाकर बाबा मंदिर पहुंचते हैं.
1883 से हुई शुरुआतः पूरे भारत ये प्रदर्शनी सिर्फ बाबा धाम देवघर में ही लगाई जाती है, जिसे यहां के पंडा समाज की अहम भूमिका रहती है. सभी पंडा द्वारा बाबा बैद्यनाथ पर बिल्वपत्र अर्पित किया जाता है. इस परंपरा की शुरुआत सर्व प्रथम बम बम बाबा ब्रह्मचारी जी महाराज ने 1883 में विश्व कल्याण की कमाना के लिए की थी. उसके बाद से लेकर आज तक यहां के पंडा समाज द्वारा इस परंपरा का निर्वहन अनवरत किया जा रहा है.
बेलपत्र की अनोखी प्रदर्शनी को देखने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं. श्रद्धालु साल भर इस मनोरम दृश्य का इंतजार करते हैं. इसके दर्शन कर धन्य होकर भगवान का आशीर्वाद अर्जित करते हैं. बिल्वपत्र की ये प्रदर्शनी देखने लायक होती है. श्रावणी मेला के समय बेलपत्र प्रदर्शनी आकर्षण का केंद्र बनी रहती है. इसे देखने के लिए शिव भक्त आते हैं. सावन के अंत में इस प्रतियोगिता के विजेता को सरदार पंडा के द्वारा पुरस्कृत भी किया जाता है.
बेलपत्र चार प्रकार के होते हैंः बेलपत्र का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व काफी है. किसी भी शुभ कार्य में इसका प्रयोग होता है. बेलपत्र चार प्रकार के होते है अखंड बेलपत्र, तीन पत्तियों के बेलपत्र, 6 से 21 पत्तियों के बेलपत्र और श्वेत बेलपत्र. इन सभी बेलपत्र का अपना अपना महत्व है. अखंड बेलपत्र का वर्णन बिल्ववास्तक में है. यह अपने आप में लक्ष्मी सिद्ध है, एकमुखी रुद्राक्ष के समान ही इसका अपना विशेष महत्व है. यह वस्तु दोष का निवारण भी करता है.
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