झारखंड
बन्ना का दावा, रिम्स के पास पैसे की कमी नहीं, आदिम जनजाति को भी बाहर से खरीदनी पड़ रही दवा
Renuka Sahu
24 Aug 2022 1:26 AM GMT
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फाइल फोटो
रिम्स राज्य के सबसे बड़ा अस्पताल माना जाता है. एक ऐसा अस्पताल जिसके लिए सरकार में अलग से बजट का प्रावधान है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रिम्स राज्य के सबसे बड़ा अस्पताल माना जाता है. एक ऐसा अस्पताल जिसके लिए सरकार में अलग से बजट का प्रावधान है. ऐसा अस्पताल जिसका हर एक निर्णय गवर्निंग बॉडी की बैठक में होता है. इसके अध्यक्ष राज्य के स्वास्थ्य मंत्री हैं और उन्हीं का दावा है कि रिम्स के पास पैसों की कमी नहीं है, लेकिन ठीक इसके उल्टे रिम्स के सभी विभाग हैंड ग्लव्स समेत कई महत्वपूर्ण दवाओं की कमी से जूझ रहा है.
रिम्स के न्यूरोसर्जरी विभाग में भर्ती गढ़वा के बिलैती खैर गांव के परहिया आदिम जनजाति का मरीज शिवपूजन परहिया सड़क दुर्घटना में घायल हुए. उन्हें 16 अगस्त को रिम्स के न्यूरो विभाग में भर्ती किया गया है. उनके सिर, नाक और चेहरे पर गंभीर चोटें आयी हैं. पत्नी सीता देवी कहती हैं कि पति खेती-किसानी का काम करते हैं. उन्हें सभी दवाएं बाहर से खरीदनी पड़ रही है. बात यहीं खत्म नहीं होती है. उन्हें 1500 से भी ज्यादा बेड वाले इस अस्पताल में एक अदद बेड तक नहीं मिला है. बारिश के मौसम में फर्श पर इलाज करवाने के लिए मजबूर हैं.
अंधेरे में इलाज करवाने को मजबूर हैं मरीज
बीते कुछ दिनों से हो रही भारी बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है, लेकिन रिम्स के ही न्यूरोसर्जरी विभाग में अव्यवस्था का आलम कम होने का नाम नहीं ले रहा है. यहां के गलियारे में बीते चार दिनों से लाइट नहीं जल रही है, जिस वजह से मरीज अंधेरे में इलाज करवाने को मजबूर हैं.
इमरजेंसी तक में दवा की कमी
इधर, अचानक रिम्स पहुंचे राज्य के स्वास्थ मंत्री बन्ना गुप्ता को अपने बीच देख यहां के जूनियर डॉक्टरों ने उन्हें दवा कि किल्लत की जानकारी दी. डॉक्टरों ने कहा कि इमरजेंसी तक में दवा की कमी है. पैरासिटामोल (आईवी) स्लाइन तक नहीं है. ऐसे में समझा जा सकता है कि रिम्स के वार्डों की क्या स्थिति है. वहीं जूनियर डॉक्टरों ने जर्जर हॉस्टल के विषय में स्वास्थ्य मंत्री को जानकारी दी. जिस पर मंत्री ने रिम्स के चिकित्सा अधीक्षक डॉ हिरेंद्र बिरूआ को व्यवस्था करने की बात कही.
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