झारखंड
धोखाधडी मामला: लोन की रकम में गड़बड़ी को लेकर बैंककर्मी को 2 साल की सजा, जानें पूरा मामला
Deepa Sahu
19 Feb 2022 5:48 PM GMT
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बड़ी खबर
झारखंड (Jharkhand) के दुमका (Dumka) की एक अदालत (Court) ने 12 पूर्व बैंककर्मियों (Former Bank Employees) की मिली भगत से स्वीकृत ऋण राशि (sanctioned loan amount) से, धोखाधडी और ठगी (Fraud) करने से संबंधित मामले में एक आरोपी को दो साल की कारावास की सजा (Sentence of Imprisonment) सुनाई. इस मामले में दुमका के अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (Additional Chief Judicial Magistrate) एस पी ठाकुर की अदालत ने शुक्रवार को दोनों पक्षों की ओर से बहस सुनने के बाद, आरोपी विमल मंडल को दोषी करार (Convicted) देते हुए दो साल के कारावास की सजा सुनाई.
रामगढ़ थाना कांड संख्या 18/2010 मामले में सुनवाई के दौरान न्यायालय में आठ गवाह पेश किये गये. इस मामले में सरकार की ओर से सहायक लोक अभियोजक खुशवुद्दीन अली ने बहस में हिस्सा लिया. मामले में सहायक लोक अभियोजक ने बताया कि, जिले के रामगढ़ थाना क्षेत्र के पंडरिया गांव निवासी मानेश्वर गृही के लिखित शिकायत पर, वनांचल ग्रामीण बैंक कड़विंधा के तत्कालीन शाखा प्रबंधक सिलठा गांव के निवासी विमल मंडल और इसी बैंक के चपरासी नित्य गोपाल वैद्य के विरुद्ध नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई गयी थी.
इन धाराओं में दर्ज किया गया था इस मामले में
धोखाधड़ी और ठगी के इस मामले में बैंक कर्मियों पर रामगढ़ थाना में भादवि. की धारा 413, 420, 406, 467, 468, 471 और 120(बी) के तहत मामला दर्ज किया गया था. संबंधित मामले में शिकायतकर्ता ने अपने शिकायती आवेदन में बताया है कि, 16 दिसंबर 2009 को वनांचल ग्रामीण बैंक, कड़विंधा से उसके नाम से दुकान खोलने के लिए 24 हजार रुपए का ऋण स्वीकृत किया गया था. लेकिन बैंक प्रबंधक ने उसे मात्र 15 हजार रूपए दिये.
बैंक कर्मचारियों ने 24 हजार में से शिकायतकर्ता को सिर्फ 7 हजार दिए
इस मामले में बैंक मैनेजर की मिली भगत से रामगढ़ थाना क्षेत्र के सिलठा गांव के विमल मंडल, वनांचल ग्रामीण बैंक के चपरासी नित्य गोपाल वैद्य और दूसरे लोगों के जरिये उससे आठ हजार रुपया ले लिया गया. जहां बैंक कर्मियों ने शिकायतकर्ता से कहा कि, तुम्हारे खाते में यह रुपया जमा करवा देंगे. बैंककर्मियों ने आगे कहा कि, इससे तुम्हें बैंक का तगादा नहीं जायेगा. इसके बाद फिर उसे 7000 रुपये दिया।
शिकायतकर्ता ने आगे बताया कि, "इसके बाद उसके बैंक खाते में शेष बैलेंस नौ हजार' दिखाया गया. जबकि 24 हजार में से उसे सिर्फ 7 हजार रुपए ही मिला, जबकि उसके खाते में शेष राशि 15,000 रहना चाहिए." वहीं इस संबंध में पीड़ित शिकायतकर्ता ने बैंक प्रबंधक से पूछा तो उन्होंने बताया कि, "आपको 15,000 रुपया दे दिया गया हैं. आपने रुपया किसको दिये हैं, हम नहीं जानते हैं. शेष राशि आपके खाते में दर्ज है."
संबंधित बैंक कर्मियों ने इस तरह से गांव के कई अन्य भोले भाले लोगों के बैंक के कागजात में हेराफेरी करके, ऋण राशि से धोखा देकर ठगी किया है. वहीं इस मामले के आरोपी वनांचल ग्रामीण बैंक के शाखा प्रबंधक की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो चुकी है. जांच के दौरान एक अन्य आरोपी बैंक के चपरासी को मामले से मुक्त कर दिया गया, जबकि मामले के एक आरोपी विमल मंडल को दोषी पाकर दो साल के कारावास की सजा सुनायी गई है.
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