झारखंड

बहरागोड़ा : 16 लाख में हुई आदिवासी बालक छात्रावास की मरम्मत, छात्र एक भी नहीं, चोर-उचक्कों का बना अड्डा

Renuka Sahu
29 Aug 2022 5:19 AM GMT
Baharagora: Tribal boys hostel repaired for 16 lakhs, not a single student, a haunted house of thieves
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फाइल फोटो 

राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. दिनेश षाड़ंगी का पैतृक गांव है बहरागोड़ा प्रखंड की पाथरी पंचायत का गंडानाडा गांव.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. दिनेश षाड़ंगी का पैतृक गांव है बहरागोड़ा प्रखंड की पाथरी पंचायत का गंडानाडा गांव. यहां राज्य संपोषित गंडानाटा हाई स्कूल परिसर में है कल्याण विभाग के तहत संचालित 100 बेड का आदिवासी बालक छात्रावास. यह छात्रावास एक अजूबा है. वर्ष 2004-05 में कल्याण विभाग के तहत लाखों की लागत से निर्मित इस आलीशान छात्रावास भवन में पिछले कुछ वर्षों से छात्रों के नहीं रहने के कारण भवन जर्जर हो गया. कुछ माह पूर्व कल्याण विभाग के तहत इस छात्रावास भवन की मरम्मत में 16 लाख रुपये खर्च किए गए. मगर विडंबना तो देखिए. छात्रावास में एक भी छात्र नहीं रहता है. छात्रावास भवन झाड़ियों से घिरा है और धीरे-धीरे जर्जर होने लगा है. मरम्मत के नाम पर स्वीकृत 16 लाख की राशि बंदरबांट हो गयी. छात्रावास भवन एक बार फिर भूतों और चोर-उचक्कों का अड्डा बनने लगा है.

जंगल झाड़ियों से घिरा भवन जर्जर होकर टूटने लगा
इस छात्रावास भवन का शिलान्यास वर्ष 2004 में राज्य के तत्कालीन आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने स्थानीय विधायक डॉ. दिनेश षाड़ंगी की अध्यक्षता में तामझाम से किया था. छात्रावास के निर्माण के बाद कुछ साल तक छात्रावास में छात्र रहे भी. उसके बाद छात्रावास में एक भी छात्र नहीं रहा. जंगल झाड़ियों से घिरा भवन जर्जर होकर टूटने लगा. कुछ माह पूर्व कल्याण विभाग के तहत इस छात्रावास की 16 लाख की लागत से मरम्मत हुई. मगर छात्रावास में एक भी छात्र नहीं रहता है. कल्याण विभाग ने छात्रावास की मरम्मत करा कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री समझ ली. छात्रावास में नाइट गार्ड और रसोईया की बहाली भी नहीं हुई है. विद्यालय की प्रधानाध्यापिका सोमवारी हांसदा ने कहा कि छात्रावास में एक भी छात्र नहीं रहता है. छात्रावास में रसोईया और नाइट गार्ड की बहाली भी नहीं है और अन्य जरूरी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं. उन्होंने कहा कि विद्यालय के आसपास कई उत्क्रमित उच्च विद्यालय स्थापित किए गए हैं. इसके कारण इस विद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या में भी कमी आई है.
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