
चिकत्सिकों की आज रांची के आईएमए भवन में हुई बैठक में स्वास्थ, चिकित्सा एवं परिवार कल्याण विभाग के द्वारा जारी आदेश राज्य सरकार में नियुक्त गैर शैक्षणिक संवर्ग के चिकत्सिक किसी भी निजी अस्पताल, नर्सिंग होम या जांच केंद्र में अपनी सेवा नहीं देने के आदेश पर नाराजगी जाहिर की गई।
इस दौरान सभी डॉक्टरों ने एक स्वर में विभाग के आदेश को तुगलकी फरमान करार दिया। वहीं बैठक में आंदोलन की रूपरेखा तय की गयी। राज्य सचिव डॉ विमलेश सिंह ने कहा कि सरकार के आदेश के विरोध में रविवार को राज्य के सभी जिले के प्रतिनिधियों की बैठक हुई। इस दौरान निर्णय लिया गया है कि सरकार यदि अपने आदेश को वापस नहीं लेती है, तो आज से 15 दिन के बाद राज्य भर के 2178 सरकारी डॉक्टरों के साथ आईएमए के सदस्य अनश्चितिकालीन हड़ताल करेंगे। हालांकि इस दौरान इमरजेंसी सेवा को बाधित नहीं किया जाएगा। साथ ही सभी जिले के प्रतिनिधियों को यह भी नर्दिेश दिया गया है कि वे मुख्यमंत्री के नाम से अपने-अपने जिले के उपायुक्त और स्थानीय जनप्रतिनिधि को ज्ञापन देना सुनश्चिति करेंगे। यदि फिर भी सरकार आदेश वापस नहीं लेती है, तो सभी डॉक्टर सामूहीक रूप से इस्तीफा देंगे।
वहीं आईएमए रांची के सचिव डॉ प्रदीप सिंह ने कहा कि सरकार का यह आदेश तुगलकी फरमान है। उन्होंने कहा कि जब सरकार डॉक्टरों को एनपीए नहीं देती है तो उन्हें फैसला लेना का कोई हक भी नहीं है। 2016 में भी ऐसा ही फरमान जारी किया गया था। लेकिन डॉक्टरों के भारी विरोध के बाद तत्कालीन सरकार ने इसे वापस ले लिया था। उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि जिस राज्य में डॉक्टरों की भारी कमी हो, वहां ऐसा आदेश निकाल कर सराकर क्या संदेश देना चाहती है? यह नर्णिय जनविरोधी है। सरकार डॉक्टरों को मजबूर नहीं करें अन्यथा इसकी पूरी जिम्मेवारी सरकार की होगी।
आईएमए-जेडीएन के स्टेट कन्वेनर डॉ. अजीत कुमार ने कहा कि सरकार के आदेश से चिकत्सिकों का मनोबल कमजोर होता है। उन्होंने कहा कि जनता की सेवा करना हम सभी चिकत्सिकों का कर्तव्य है। लेकिन जिस तरह से विभाग का आदेश आया है, हमें मरीजों की जान बचाने से पूर्व सोचना पड़ेगा। यदि हम इलाज नहीं करते हैं, तो मरीज और उनके परीजनों का आक्रोश झेलना पड़ेगा और इलाज करने पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी