रांची: झारखंड में ईडी की कार्रवाई से खलबली मची हुई है. इसकी शुरूआत 6 मई को आईएएस पूजा सिंघल के ठिकानों पर छापे के साथ हुई थी. मनरेगा घोटाला से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में पूजा सिंघल सलाखों के पीछे हैं. इस बीच बरहरवा थाने में दर्ज टेंडर विवाद मामले में 8 जून को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा समेत उनके करीबियों के ठीकानों पर ईडी की छापेमारी से सनसनी फैली हुई है. सूचना है कि छापेमारी के दौरान ईडी को भारी भरकम नगद और कई जरूरी दस्तावेज भी हाथ लगे हैं. हालाकि ईडी की ओर से आधिकारिक तौर पर अबतक कुछ भी नहीं कहा गया है. अब इस पूरे प्रकरण में ईडी को राजनीतिक गलियारे से सुझाव भी आने शुरू हो गये हैं. 2019 के चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को उनके गढ़ में हराने वाले निर्दलीय विधायक सरयू राय ने ईडी को सुझाव दिए हैं.
सरयू राय ने एक के बाद एक दो ट्वीट किए हैं. उन्होंने लिखा है कि ईडी सीएम के प्रतिनिधि तक पहुंच गई. जिनके यहां छापेमारी हुई है , उनकी खदान लीज पुरानी है. गत सात वर्षों में वैध-अवैध खनन के साथ वे पथ के बड़े ठेकेदार बन गये. समाजसेवी के आवरण में सत्ता के निकटतम संबंधी से लाखों कंबल बंटवाते रहे हैं. उन्होंने दूसरे ट्वीट में लिखा है साहिबगंज, पाकुड़ से कितना गिट्टी, पत्थर वैध/अवैध चालान से गत 3 वर्ष में ढोया है, इसका हिसाब ईडी ने रेल से मांगा है. इसमें 2 वर्ष हेमंत सोरेन के और 1 वर्ष रघुवर सरकार का है. ईडी गत 5 वर्ष का हिसाब रेल से मांगे. लीज खदानों का क्रॉस सेक्शन नपवाए. अवैध खनन का पता चल जाएगा.
सरयू राय के इस ट्वीट के कई मायने निकाले जा रहे हैं. एक तो यह कि अगर पांच साल का रिकॉर्ड निकाला जाएगा तो पूर्वर्ती रघुवर दास की सरकार पर भी आंच आ सकती है. दूसरा यह कि सरयू राय को लग रहा है कि केंद्रीय एजेंसी सही दिशा में जांच नहीं कर रही है. लिहाजा, सरयू राय द्वारा ईडी को फोकस करते हुए किए गये दोनों ट्वीट की झारखंड के राजनीतिक गलियारे में खूब चर्चा हो रही है. हालाकि उनके इस सुझाव पर किसी भी पार्टी की ओर से अबतक कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई है.