झारखंड

ममत्व का परित्याग ही आकिंचन्य : माताजी

Rani Sahu
8 Sep 2022 3:17 PM GMT
ममत्व का परित्याग ही आकिंचन्य : माताजी
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Hazaribagh: दसलक्षण पर्यूषण पर्व के नौवें दिन गुरुवार को बड़ा बाजार जैन मंदिर में आर्यिका 105 प्रतिभामति माताजी व आर्यिका 105 सुयोगमति माताजी ने कहा कि ममत्व का परित्याग ही आकिंचन्य है. इस संसार में मेरा कुछ भी नहीं. घर-द्वार धन-दौलत बंधु-बांधव यहां तक कि शरीर भी मेरा नहीं है. इस प्रकार का अनाशक्ति भाव उत्पन्न होना, उत्तम आकिंचन्य धर्म है. सब का त्याग करने के बाद भी उस त्याग के प्रति ममत्व रह सकता है. आकिंचन्य धर्म में उस त्याग के प्रति होने वाले ममत्व का भी त्याग कराया जाता है.
इससे पहले सुबह बाडम बाजार और बड़ा बाजार दोनों मंदिरों में अभिषेक, शांतिधारा और पूजन किया गया. दोनों माताजी के सानिध्य में 1008 नेमिनाथ भगवान और दसलक्षण विधान में उत्तम आकिंचन्य धर्म की पूजा की गई. शांति धारा करने का अवसर अमर विनायका और कथा का संतोष अजमेरा को मिला. माता जी को जिनवाणी देने का अवसर रेणु रारा ग्रुप एवं पूजा ग्रुप को मिला. दीप प्रज्वलन पावन वर्षा योग के मुख्य संयोजक निर्मल जैन गंगवाल, सहसंयोजक अमर विनायका, पंडित दीपक शास्त्री, ललित अजमेरा, प्रदीप बिनायका तथा कमेटी के सदस्यों को मिला. दिन में 3 बजे दसलक्षण व्रत धारी राजकुमार पाटनी के निवास स्थान पर समाज के सदस्यों ने विनती गायी. संध्या में दोनों मंदिरों में महाआरती की गई और रात्रि में पंडित जी ने शास्त्र वाचन किया. फिर जैन युवा परिषद की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया.
अनंत चतुर्दशी पर पालकी जुलूस
मुख्य संयोजक निर्मल गंगवाल ने बताया कल अनंत चतुर्दशी के अवसर पर पहली बार 1008 बासुपूज्य जी भगवान की प्रतिमा पालकी में लेकर जुलूस के साथ पांडुकशिला जाएगी. अनंत चतुर्दशी के दिन वासुपूज्य भगवान का निर्वाण महोत्सव भी है. दोनों मंदिरों में उनकी पूजा भी होगी तथा निर्वाण लाडू चढ़ेगा. संध्या में जैन भवन में सामूहिक कलश होगा. जैन युवा परिषद के अध्यक्ष अमर विनायका ने बताया की विश्व मैत्री दिवस के अवसर पर 12 सितंबर को बड़ा बाजार जैन भवन में 17वां रक्तदान शिविर का आयोजन प्रातः 10:30 बजे से किया जाएगा.
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