झारखंड
सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत का समागम, कलाकारों ने बांधा समा
Tara Tandi
10 Aug 2023 7:31 AM GMT
x
झारखंड में दो दिवसीय आदिवासी महोत्सव का आगाज हो चुका है. आज आदिवासी महोत्सव का अंतिम दिन है. महोत्सव के पहले दिन सीएम सोरेन और शिबू सोरेन भी कार्यक्रम में मौजूद रहे. इस आयोजन के जरिए आदिवासी जीवन दर्शन को दर्शाया गया है. दो दिवसीय इस आयोजन में झारखंड के साथ देश भर के आदिवासी समुदाय की कला संस्कृति को दर्शाने को कोशिश की गई. कार्यक्रम में सिक्किम, त्रिपुरा से पहुंचे जनजातीय समुदाय के लोगों ने भी इस आयोजन को सराहा.
सीएम हेमंत सोरेन और शिबू सोरेन रहे मौजूद
प्रकृति की भूमि पर आदिवासी परंपराओं का समागम दिखा. झारखंड की रांची में स्थित बिरसा मुंडा स्मृति पार्क आदिवासी परंपराओं की झलकियों से गुलजार हो उठा. झारखंड में दो दिवसीय झारखंड आदिवासी महोत्सव का आगाज हुआ. विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर राज्य सरकार की ओर से आयोजित इस महोत्सव का उद्घाटन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन के साथ किया. बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान में आयोजित इस कार्यक्रम में आए मेहमानों का स्वागत भी आदिवासी परंपरा से हुआ. जहां मेहमानों का सखुआ के पौधे और अंगवस्त्र देकर स्वागत किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत से पहले मणिपुर हिंसा में मारे गये लोगों को श्रद्धांजलि दी गई. इसके बाद कार्यक्रम की शुरूआत रंगारंग प्रस्तुतियों के साथ हुई.
आदिवासी कला-संगीत का प्रदर्शन
इस दौरान आदिवासी कला-संगीत, सांस्कृतिक और सहित्यिक विरासत का अद्भुत समागम देखने को मिला. जहां ना सिर्फ झारखंड बल्कि कई राज्यों के कलाकारों ने प्रस्तुती दी. प्रसिद्ध गायिका मोनिका मुंडू ने भी कार्यक्रम में अपनी कला का प्रदर्शन किया. वहीं, मंच से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आदिवासी महोत्सव के मौके पर विशेष डाक टिकट जारी किया और कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आदिवासियों से एकजुट होने की अपील की. इस दौरान सीएम ने मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्र सरकार को आड़े हाथ भी लिया.
आदिवासी समुदाय की कला संस्कृति को दर्शाया गया
दिशोम गुरु और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया. जहां उन्होंने आदिवासी गौरव को याद करते हुए कहा कि आदिवासी समाज हमेशा संघर्ष करता रहा है. शिक्षा से जीवन में बदलाव लाया जा सकता है. हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के रूप में मनाया जाता है. आदिवासियों के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी परंपरा और संस्कृति की रक्षा करने के साथ ही उनकी उपलब्धियों को स्वीकार करने के लिए इस दिन को समर्पित किया गया है. झारखंड में हर साल इसी गर्मजोशी से आदिवासी महोत्सव मनाया जाता है.
Next Story