जमशेदपुर न्यूज़: पूर्वी सिंहभूम के 1.55 लाख किसान खेती के लिए मानसून की बारिश पर निर्भर हैं. जिले की कुल 1 लाख 65 हजार 152 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में सिर्फ 36 हजार हेक्टेयर ही सिंचित है. जमशेदपुर में मानसून के समय औसत बारिश 1200 मिमी मानी जाती है. बारिश पर निर्भरता खत्म करने के लिए नौ साल पहले नहर परियोजना बनाई गई थी, जिसके तहत घाटशिला में गालूडीह बराज से बहरागोड़ा तक बायीं मुख्य नहर का निर्माण योजना शुरू हुई. 85 करोड़ की योजना में 63 करोड़ खर्च हो गए, लेकिन 10 प्रतिशत ही काम हो पाया.
नौ साल गुजर गए. 65.5 किमी में सिर्फ 7 किमी नहर बन पाई. टुमांगडुंगरी से मऊभंडार तक नहर निर्माण नहीं हुआ. 2014 से एसईडब्ल्यू कंपनी काम कर रही थी. कुछ दिनों बाद ही काम बंद कर दिया. अबतक नई एजेंसी को काम एलॉट नहीं किया गया है. पिछली बार की तरह इस बार सामान्य मानसून रहने के आसार बताए गए हैं. इस बार भी जलाशयों में पानी का अच्छा भंडारण होगा. कुछ को छोड़ दें तो पिछले साल 2022 में बारिश में जलाशयों में पानी का अच्छा भंडारण हुआ था. इसके बाद भी खेत सूखे रह गए थे.
मनरेगा से डोभा-तालाब बनाए गए, जिसमें 20 प्रतिशत डोभा कागज पर ही बने. जो बने हैं, उसमें से अधिकांश ऐसे हैं, जिसमें पानी नहीं ठहरता.
- दिलीप कुमार, पटमदा
झारखंड में हर साल 1200 मिमी बारिश होती है, जो पंजाब से अधिक है. इसके बावजूद खेती में हम पिछड़े हैं.
- अंबिका यादव, गालूडीह
स्वर्णरेखा परियोजना तो बेकार हो ही गई, डोभा और तालाब भी काम नहीं आ रहे. मार्च से ही सूखने लगते हैं.
- भूषण मुर्मू, घाटशिला
नहर निर्माण की नए सिरे से निगरानी की जा रही है. विलंब करने वाली एजेंसी के खिलाफ जांच की जा रही है.
प्रशांत कुमार, विभागीय सचिव, बराज