झारखंड
अवैध बालू के कारोबार से सरकार को 60 करोड़ का नुकसान, बिना चालान बिके 18 लाख ट्रैक्टर बालू
Renuka Sahu
23 Sep 2022 2:08 AM GMT
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न्यूज़ क्रेडिट : lagatar.in
जिले में अवैध बालू के कारोबार से सरकार को कम से कम 60 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जिले में अवैध बालू के कारोबार से सरकार को कम से कम 60 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. यह नुकसान पिछले 30 माह में हुआ है. बिना चालान के कम से कम 18 लाख ट्रैक्टर बालू का कारोबार हुआ. वैसे नुकसान इससे कहीं ज्यादा का हुआ है. हमने सिर्फ उन बालू घाटों का हिसाब किया है, जिसे सरकार ने कभी नीलाम किया था. अगर उन घाटों को भी शामिल किया जाए, जिसकी कभी निलामी नहीं हुई, तो नकुसान का आंकड़ा 100 करोड़ से ज्यादा होगा.
जानकारी के मुताबिक, जिले में वैसे 41 बालू घाट हैं, जिसकी नीलामी हो सकती है. वर्तमान में केवल 14 ऐसे घाट हैं, जिनकी नीलामी वर्ष 2015 से 2018 के बीच हुई थी. बाकी के 27 बालू घाट नॉन वर्किंग कंडीशन में हैं. इनमें से अधिकांश के नॉन वर्किंग होने के पीछे का कारण ग्रामसभा से घाटों को अनापत्ति नहीं दिया जाना है.
बड़कागांव में सबसे अधिक घाट
हजारीबाग जिले के सारे बालू घाट कुल 12 नदियों पर हैं. सभी बालू घाटों की खनन क्षमता लगभग 50 लाख 68 हजार 785 टन है, जबकि जून 2017 तक 5 लाख 13 हजार 90 टन बालू का खनन हो चुका था. बड़कागांव में 15, सदर प्रखंड में 6, कटकमदाग, दारू व दाढ़ी में 4 – 4, बरही में 3 और कटकमसांडी, केरेडारी, विष्णुगढ़, बरकट्ठा व चुरचू में 1-1 घाट हैं. जिले के अधिकांश बालू घाटों की नीलामी की अवधि फरवरी 2019 में ही समाप्त हो चुकी हैं. केवल बरही के भंडारों के एक घाट की अवधि फरवरी 2021 में समाप्त हुई है.
कहां कितना अवैध खनन व उठाव
जगह ट्रैक्टर की संख्या (अनुमानित)
बरही के गोरियाकरमा के विभिन्न घाटों से करीब 200 ट्रैक्टर
पुरहरा से करीब 100 से 150 ट्रैक्टर
पिंडारकोन सोकि से करीब 250 ट्रैक्टर
चौपारण के पेटातरी से करीब 150 से 175 ट्रैक्टर
दनुआ से करीब 100 ट्रैक्टर
करंजुआ से करीब 25 से 30 ट्रैक्टर
चलकुसा और बरकट्ठा इलाके से करीब 300 से 400 ट्रैक्टर
विष्णुगढ़, दारू, सदर, चुरचू इलाके से करीब 150 से 200 ट्रैक्टर
इचाक, कटकमसांडी व कटकमदाग से करीब 100 से 150 ट्रैक्टर
बड़कागांव, केरेडारी व चरही से करीब 300 से 400 ट्रैक्टर
हर दिन 2000 से अधिक ट्रैक्टर
आंकड़े चौंकाने वाले हैं. इस अवैध कारोबार से जुड़े लोगों से मिली जानकारी के अनुसार हजारीबाग जिले में प्रति दिन 2000 से 2500 ट्रैक्टर बालू का रोज उठाव हो रहा है. एक ट्रैक्टर में 100 सीएफटी, यानी 3 टन वजन भर का बालू लोड रहता है. चूंकि फरवरी 2019 में ही सभी बालूघाट नीलामी की अवधि समाप्त हो चुकी है. इस कारण बालू का यह कारोबार अब बिना चलान के ही चल रहा है. सरकार को एक पैसा भी राजस्व के रूप में नहीं मिल रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि यह काम पिछले 30 माह से बिना रुके चल रहा है.
60 करोड़ के नुकसान के आंकड़े
एक दिन में बिना चलान ढ़ुलाई 2000 ट्रैक्टर
एक माह (30 दिन) में ढ़ुलाई 60 हजार ट्रैक्टर
30 महीने में ढ़ुलाई 18 लाख ट्रैक्टर
प्रति ट्रेक्टर सरकार को राजस्व 324 रुपये
18 लाख ट्रेक्टर बालू का राजस्व 58.32 करोड़ रुपये
घाटों पर किसका अवैध कब्जा
आंकड़े से स्पष्ट होता है कि हजारीबाग जिले में 58 करोड़ का राजस्व नुकसान हो चुका है. बालू घाटों की नीलामी न होने से अब इन घाटों पर वैसे लोगों का कब्जा है, जिन्हें या तो पहले इसकी नीलामी में वो घाट मिली थी या फिर जहां से उठाव हो रहा है, वहां के गांव के किसी दबंग व्यक्ति का. इन्हीं दो तरह के लोग इन ट्रेक्टरों से प्रति ट्रेक्टर 200 से 250 रुपये वसूलते हैं. इस रकम में से कई लोगों का हिस्सा बंटता है.जिसमें सरकारी पदाधिकारी से लेकर जन प्रतिनिधि तक शामिल हैं. खनन विभाग से जुड़े पदाधिकारियों की तो बल्ले-बल्ले है. कई घाटों पर ते जनप्रतिनिधियों का भी कब्जा है. उनके गुर्गे घाटों पर वसूली का काम देखते हैं. प्रशासन का टास्क फोर्स भी दिखावे के लिए कभी-कभार छापेमारी करती है. तभी तो यह धंधा बदस्तूर जारी रहता है.
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