झारखंड
43 अनाथ बच्चों को मिल रहा लाभ, हर महीना मिलता है 2 हजार रुपया
Shantanu Roy
14 Nov 2021 7:40 AM GMT
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जिला में स्पॉन्सरशिप योजना (Sponsorship Scheme) से 43 बच्चों को लाभ दिया जा रहा है. यह कोई छात्रवृति या पेंशन योजना नहीं है. इस योजना के तहत उन बच्चों को लाभ दिया जा रहा है,
जनता से रिश्ता। जिला में स्पॉन्सरशिप योजना (Sponsorship Scheme) से 43 बच्चों को लाभ दिया जा रहा है. यह कोई छात्रवृति या पेंशन योजना नहीं है. इस योजना के तहत उन बच्चों को लाभ दिया जा रहा है, जिनके माता पिता इस दुनिया में है या दोनों में से कोई एक है या दोनों जेल में है. ऐसी स्थिति में इनके स्वास्थ्य शिक्षा और पोषण के लिए झारखंड सरकार (Jharkhand Government) की ओर से हर अनाथ बच्चा को 2000 रुपया प्रति माह डीवीडी के माध्यम से बैंक खाता में ट्रांसफर कर देती है.
इस योजना को लेकर अधिकारी ने बताया कि यह झारखंड सरकार का महत्वाकांक्षी योजना है, साहिबगंज में अनाथ 43 बच्चों को इस योजना का लाभ दिया जा रहा है. 21 अन्य बच्चों को चिन्हित कर लिया गया है और जल्द इन बच्चों को भी योजना का लाभ दिया जाएगा.
जानकारी देतीं अधिकारी
झारखंड सरकार की महत्वकांक्षी योजना है जिसमें वैसे परिवार जिनका 75 हजार सालाना आय कम है और अपने बच्चे को पाल नहीं सकते है या जिनके माता-पिता कि मृत्यु हो चुकी है या ट्रैफिकिंग से जुड़ी बच्चियों को भी इस योजना से लाभान्वित किया जा सकता है. इसमें कोई लिंग भेद नहीं है, किसी भी जाति के बच्चों को लाभ दिया जा सकता है. यह योजना 2018 में शुरू हुआ था, समय पर इसका फंड जाता है.
इस योजना का लाभ दिलाने में थोड़ी बहुत परेशानी जरूर होती है. झारखंड सरकार की ओर से बच्चे का आय प्रमाण पत्र माना जाता है. इसमें अधिकांश बच्चों का आय प्रमाण पत्र नहीं रहता है. ऐसी परिस्थिति में परेशानी जरूर होती है, बच्चे का ब्लॉक से लेकर बैंक तक खाता खुलवाने में चाइल्ड लाइन की टीम पूरी तरह से मदद करती है. अधिकारी ने सुझाव देते हुए कहा कि झारखंड सरकार को नियमावली में थोड़ा बदलाव करना चाहिए था. जबकि पिता के आय प्रमाण पत्र पर ही बच्चे का भी आय निर्भर करता है अलग से बच्चे का प्रमाण पत्र मांगना थोड़ी परेशानी जरूर हो रही है.
उन्होंने कहा कि अनाथ 43 बच्चों को इसका लाभ दिया जा रहा है उनके खाते में डीवीडी के माध्यम से हर महीने 2000 खाता में भेज दिया जाता है. उन्होंने बताय कि जिस किसी मोहल्ले में इस तरह के बच्चे मिलते हैं तो ऐसे बच्चों की जानकारी अनुमंडल कार्यालय स्थित जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी (District Child Protection Officer) को सूचना देकर इन बच्चों को इस योजना का लाभ दिला सकते हैं.
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