गेमिंप एप से ठगी के 43 मामले दर्ज हुए थे, 18 लाख की हुई थी ठगी
जमशेदपुर न्यूज़: ज्यादातर स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां शुरू हो गई हैं. इन छुट्टियों में बच्चे जब रिलैक्स होते हैं और मोबाइल पर गेम खेलते हैं तो साइबर अपराधियों की गेमिंग एप पर नजर रहती है. पिछले साल ग्रीष्मावकाश के अंतराल में ही गेमिंग एप से ठगी के 43 मामले सामने आए थे, जिसमें किसी न किसी माध्यम से ठगों द्वारा अलग-अलग तरीके से 18 लाख रुपये खातों से उड़ा लिए गए थे.
यह हुआ था पुलिस के अनुसार, ऑनलाइन गेम प्लेटफार्म कार्ड लेनदेन, इंटरनेट बैंकिंग, यूपीआई, आईएमपीएस और पेमेंट गेटवे जैसे रेजर पे, बिल डेस्क आदि के माध्यम से पेमेंट स्वीकार करते हैं. इसमें ऑनलाइन गेमिंग एप गूगल प्ले स्टोर पर नहीं होते हैं. इन्हें इंस्टॉल करने के लिए उनकी वेबसाइट पर एक एपीके फाइल डाउनलोड करने का लिंक दिया जाता है. ठग इसका प्रयोग मनचाहे वॉलेट के रूप में करते हैं. जिस खाते से चाहते हैं, वहां से पैसे निकाल लेते हैं. ठगों के लिए ऑनलाइन गेमिंग एप वॉलेट का उपयोग आसान होता है. जमशेदपुर में ठगे गए बच्चों ने अपने परिवार के किसी न किसी सदस्य के क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किया था और एप की प्रक्रिया में खातों का इस्तेमाल परिवार के सदस्यों से छिपकर किया था.
इन बातों का रखें ध्यान●
● ऑनलाइन गेमिंग एप के वॉलेट में पैसा डालने से बचें
● बच्चों को अपने फोन देने से पहले उसमें यूपीआई का अलग पासवर्ड रखें
● अपने क्रेडिट कार्ड को किसी भी गेमिंग प्रोफाइल में कनेक्ट न करें
● बच्चों द्वारा आपके या उनके निजी मोबाइल में खोले गए पेज पर नजर रखें
● विश्वसनीय स्रोत से ही एपीके को डाउनलोड करें
● मोबाइल में एप इंस्टॉल व वेबसाइट पर एपीके डाउनलोड करा हुई थी ठगी
● इस प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर वॉलेट के रूप में खाते से पैसे निकाल लिए
● जमशेदपुर साइबर पुलिस ने अभिभावकों को सतर्क करना शुरू किया
गर्मी की छुट्टियों में कई तरह से बच्चों को बचाने की जरूरत है, क्योंकि साइबर ठगों के लिए हथियार मोबाइल फोन और लिंक बनता जा रहा है. इसलिए बच्चे यदि आपके फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं और उसमें आपके यूपीआई पेमेंट सुविधा है तो आपको ज्यादा सतर्कता बरतनी होगी.