बीसीसीएल में जलस्तर व गुणवत्ता जांच के लिए 23 पीजोमेट्रिक कुएं
धनबाद न्यूज़: कोयला क्षेत्र में गिरते जलस्तर व पानी की गुणवत्ता की जांच के लिए बीसीसीएल की ओर से पीजोमेट्रिक कुएं बनाए जा रहे हैं. उक्त कुएं से जलस्तर की निगरानी की जाएगी. पानी की गुणवत्ता की जांच के लिए सैंपल भी लिए जाएंगे. बीसीसीएल के विभिन्न कोयला क्षेत्र में अब तक 23 पीजोमेट्रिक वेल बनाए गए हैं. अब इन कुओं में डिजिटल वाटर लेवल रिकॉर्डर लगाया जाएगा. टेंडर हो गया है. मशीन लगने के बाद हर पल वाटर लेवल की मॉनिटरिंग की जा सकेगी.
पीजोमेट्रिक कुएं बोर होल कर बनाया जाता है. गहराई 35 मीटर से 140 मीटर तक है. बीसीसीएल के हर एरिया में दो-तीन पीजोमेट्रिक वेल बनाए गए हैं. माइन वाटर से जलस्तर और गुणवत्ता की मुकम्मल जांच नहीं हो पाती है. पीजोमेट्रिक कुएं में पानी स्थिर रहता है. इस कारण भूगर्भ जलस्तर के बारे में जानकारी मिलती है. बता दें कि कोयला क्षेत्र में खनन के कारण जलस्तर में गिरावट सामान्य बात है. वैसे जलस्तर में गिरावट की स्थिति की जांच एवं गिरावट से संबंधित आंकड़े जुटा वाटर लेवल को रिचार्ज करने किया जा सकेगा.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पीजोमेट्रिक का उपयोग सिर्फ जलस्तर और गुणवत्ता जांच है. इनमें कहीं भी पंप आदि नहीं लगाया जा रहा है. अब तक जो कुएं बनकर तैयार हैं, उनसे सीएमपीडीआई की ओर से मैनुअली वाटर लेवल की माप की जा रही है. काफी अंतराल के बाद मैनुअली माप होने से जलस्तर की सटीक जानकारी नहीं मिल पाती है. बताया गया कि वाटर लेवल रिकॉर्डर लग जाने के बाद हर पल आंकड़े मिलेंगे. मालूम हो कि भूमिगत खनन के कारण जलस्तर तेजी से नीचे जाता है. बीसीसीएल पुरानी कोयला कंपनी है और पहले ज्यादातर भूमिगत खनन होता था. इस कारण बीसीसीएल में जलस्तर की समस्या ज्यादा गंभीर है.
देश के 900 गांव के 18 लाख लोग माइन वाटर का करते हैं उपयोग
देश में कोयला खनन क्षेत्रों के आसपास के लगभग 900 गांवों में रहनेवाले लगभग 18 लाख लोग कोयला खदानों से निकलने वाले पानी का उपयोग करते हैं. घरेलू उपोग, सिंचाई के साथ-साथ पीने के लिए भी माइन वाटर का उपयोग किया जाता है. कोयला मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार चालू वित्त वर्ष के दौरान सामुदायिक उपयोग के लिए लगभग 4000 एलकेएल खदान पानी की आपूर्ति करने की योजना बनाई, जिसमें से दिसंबर 2022 तक 2788 एलकेएल की आपूर्ति की जा चुकी है. इसमें से 881 एलकेएल का उपयोग पीने सहित घरेलू उद्देश्यों के लिए किया गया है. खदान के पानी के लाभार्थी मुख्यरूप से आदिवासी लोग और दूर-दराज के इलाकों में रहनेवाले लोग हैं. पेयजल के रूप में माइन वाटर के उपयोग को देखते हुए गुणवत्ता जांच जरूरी है.