झारखंड

जज उत्तम आनंद हत्याकांड में लखन और राहुल को उम्रकैद, 20-20 हजार का लगा जुर्माना

Rani Sahu
6 Aug 2022 11:29 AM GMT
जज उत्तम आनंद हत्याकांड में लखन और राहुल को उम्रकैद, 20-20 हजार का लगा जुर्माना
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जज उत्तम आनंद हत्याकांड
Dhanbad: बहुचर्चित जज उत्तम आनंद हत्याकांड में सीबीआई की विशेष अदालत ने दोषी राहुल वर्मा और लखन वर्मा को उम्र कैद की सजा सुनाई. कोर्ट ने दोषियों पर 20-20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. साथ ही ट्रायल कोर्ट ने धनबाद DLSA को यह निर्देश दिया है कि दिवंगत जज उत्तम आनंद के परिजनों को उचित मुआवजा दिलाया जाये. यह फैसला दिवंगत जज उत्तम आनंद हत्याकांड की सुनवाई कर रहे CBI जज रजनीकांत पाठक ने सुनाया है.
इससे पहले 28 जुलाई को जज उत्तम आनंद की पहली पुण्यतिथि के मौके पर ही कोर्ट ने ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा और उसके साथी राहुल वर्मा को दोषी ठहराया था. शनिवार को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश रजनीकांत पाठक की अदालत ने दोनों दोषियों को सजा सुनाई. इन दोनों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 201 (अपराध के सबूतों को गायब करना, या अपराधी को बचाने के लिए झूठी जानकारी देना) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत आरोप तय किए गए थे.
सीसीटीवी फुटेज को माना गया अहम सबूत
इस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने सीसीटीवी कैमरे से मिले वीडियो को अहम सबूत माना. सीबीआई के अतिरिक्त लोक अभियोजक अमित जिंदल ने कहा कि अदालत ने पाया कि दोनों आरोपी नशे में नहीं थे. जिंदल ने कहा कि अदालत ने यह भी फैसला सुनाया कि 'यह जानबूझकर की गई हत्या का मामला है'. हालांकि, बचाव पक्ष के वकील कुमार बिमलेंदु ने मीडियाकर्मियों से कहा कि सीबीआई ने हत्या की मनगढ़ंत कहानी रची. उन्होंने कहा कि दोषी लखन और राहुल फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे.
जिस दिन हुई हत्या, उसी दिन आया फैसला
न्यायाधीश उत्तम आनंद की हत्या के मामले में सुनवाई इसी साल फरवरी में शुरू हुई थी. अदालत ने सुनवाई के दौरान 58 गवाहों के बयान दर्ज किए थे. सीसीटीवी कैमरे के फुटेज से पता चला था कि न्यायाधीश आनंद धनबाद के रणधीर वर्मा चौक पर एक सड़क के एक तरफ सैर कर रहे थे, तभी ऑटो रिक्शा ने उन्हें पीछे से टक्कर मार दी जिससे उनकी मौत हो गई और आरोपी मौके से फरार हो गये. मामले की जांच के लिए शुरू में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था, लेकिन बाद में झारखंड सरकार ने मामले को सीबीआई को सौंप दिया था. उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल न्यायाधीश के दुखद निधन' पर स्वत: संज्ञान लिया था और झारखंड के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से इस मामले में स्थिति रिपोर्ट मांगी थी.
आपको बता दें कि 28 जुलाई 2021 को जज उत्तम आनंद मॉर्निंग सुबह पांच बजे वॉक पर निकले थे. वे सड़क किनारे वॉक कर रहे थे, तभी रणधीर वर्मा चौक के पास एक ऑटो ने उन्हें पीछे से जोरदार टक्कर मार दी थी. इस घटना में एडीजे की मौके पर ही मौत हो गयी थी. 28 जुलाई 2022 को अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि यह साबित होता है कि दोनों ने जान-बूझकर जज उत्तम आनंद की हत्या की है. हर हत्यारकांड में कोई मो‍टिव या इंटेंशन हो, यह जरूरी नहीं. यदि अभियुक्त यह जानता है कि उसके कार्य से किसी की मौत हो सकती है तो फिर इंटेंशन की जरूरत नहीं है

सोर्स- Newswing

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