झारखंड

वन विभाग की दबंगई, गर्भवती महिला की जमकर पिटाई

Rani Sahu
29 July 2022 10:29 AM GMT
वन विभाग की दबंगई, गर्भवती महिला की जमकर पिटाई
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वन विभाग की दबंगई

Gharwa/ Ranchi : गढ़वा जिले के रंका स्थित लुकुमबार में बुधवार को वन विभाग की दबंगई सामने आयी. कोविड 19 के बहाने वहां वर्षों से खेती-बारी कर रहे जनजातीय समुदाय के लोगों द्वारा आवेदन दिये जाने के बावजूद अबतक उन्हें वन पट्टा तो दिया नहीं. उलटे उस जमीन पर खेती करने पर वन विभाग के गार्ड ने कोरवा आदिम जनजाति की गर्भवती महिला की जमकर पिटाई कर दी. इसमें कई अन्य लोग भी घायल हुए हैं. इनमें विमला देवी पति रामचन्द्र कोरवा, सुनीता देवी पति सुकन कोरवा शामिल हैं. यह घटना 27 जुलाई को दिन में 2 बजे घटी. ग्रमीणों का कहना है कि वे लोग सालों से वन भूमि पर खेती- बारी कर जीवन बिताते आ रहे हैं . इस भूमि के लिए सामुदायिक और व्यक्तिगत दवा पत्र भी भरा गया है, जो SDLC में जमा है. घटना को लेकर ग्रामीणों ने रंका थाना में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए आवेदन दिया है.

दूसरी महिला को भी मार-मार कर जमीन पर सुला दिया
यह घटना राज्य में वन अधिकार कानून की हकीकत बयां करती है. भले ही राज्य सरकार द्वारा वन अधिकार पट्टा देने की वकालत की जा रही है. लेकिन इसकी जमीनी हकीकत यही है कि खेती करने पर एक गर्भवती आदिम जनजाति महिला की पिटाई कर दी जाती है. पिटाई के कारण आदिम जनजाति कोरवा समुदाय की सुनिता देवी पति सुकन कोरवा गंभीर रूप से घायल हो गयी हैं. इसी तरह विमला देवी को वन विभाग के गार्डों ने डंडे से मार-मार कर जमीन पर सुला दिया. ग्रामीणों ने बताया कि पिटाई करने वलों में वन विभाग के गार्ड के साथ रंका थाना के तीन जवान भी शामिल थे. ये लोग कोरवा समुदाय के लोगों के घरों और खेतों से हल और जुआठ वगैरह जब्त कर ले जाने लगे. इसका विरोध करने पर उनकी बेरहमी से पिटाई की गयी.
सीएम ने गढ़वा डीसी को दिया जांच का आदेश
इस घटना को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गढ़वा डीसी को मामले की जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.
भूमि को कब्जा मुक्त कराने गयी थी वन विभाग की टीम
रंका के लुकुमबार में वन भूमि पर खेती कर रहे आदिम जनजाति के लोगों से भूमि को कब्जा मुक्त कराने गए वन विभाग के कर्मियों के साथ गई रंका पुलिस और महिलाओं के बीच झड़प हो गयी. ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस ने जमकर लाठियां भांजी. बिना महिला पुलिस के कार्रवाई के लिए पहुंची वन विभाग की टीम को महिलाओं ने लाठी- डंडे के साथ खदेड़ने का प्रयास किया. इस बीच पुलिस व महिलाओं के बीच खींचातानी भी हुई. पुलिस किसी तरह वहां से निकलने में कामयाब रही. ग्रामीणों ने कहा कि वे लोग पूर्व की भांति अपनी भूमि पर खेती के लिए हल चला रहे थे. अचानक वन विभाग और रंका पुलिस के लोग आकर उन लोगों के साथ मारपीट करने लगे. ग्रमीणों के अनुसार वनकर्मी तीन गाड़ियों में आये थे, जिसमें एक कमांडर जीप (नंबर 0922) थी. इसके अलावा दो सफेद बोलेरो वाहन से सभी आये थे.
कोविड 19 हवाले देते हुए सामुदायिक दावा पत्रों का वितरण नहीं किया गया
बताया गया कि लुकुमबार ग्रामसभा के सभी लोगों ने वन अधिकार कानून 2006 के अंतर्गत सामुदायिक एवं व्यक्तिगत पट्टा के लिए अनुमंडल स्तरीय समिति में कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए 20 जुलाई 2020 को अपने दस्तावेज सुपुर्द कर दिए थे. अनुमंडलाधिकारी ने पत्रांक 762 दिनांक 16 नवंबर 2021 के हवाले से बताया है कि कोविड 19 के कारण किसी तरह के सामुदायिक दावा पत्रों पर कार्यवाही नहीं की जा सकी है.
वनों के क्षेत्र पदाधिकारी सहित 25 अन्य वन कर्मियों पर प्राथमिकी दर्ज करने का आवेदन दिया
लुकुमबार के ग्रामीणों ने घटना को लेकर रंका थाना में वन क्षेत्र पदाधिकारी सहित 25 अन्य वन कर्मियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का आवेदन दिया दिया है. आवेदन में लिखा है कि वन अधिकार कानून 2006, अध्याय 3 की उपधारा 4 (5) में स्पष्ट उल्लेख है कि किसी वन में निवास करने वाली अनुसूचित जनजाति या अन्य परंपरागत वन निवासियों के किसी भी सदस्य को वन भूमि से तब तक बेदखल नहीं किया जायेगा या हटाया नहीं जाएगा, जब तक कि मान्यता और सत्यापन प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती है. वन विभाग के अधिकारियों ने इसका खुला उल्लंघन किया है. साथ ही निहत्थे आदिवासियों पर अत्याचार, मारपीट व बलपूर्वक उनको जीविकोपार्जन के साधनों यथा पेयजल एवं कब्जे वाली भूमि से बेदखल करने का आपराधिक कार्य किया है. यह अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराओं का उल्लंघन है. इन धाराओं का उल्लंघन करने वाले पदाधिकारी और पुलिस जवानों पर भारतीय दंड संहिता एवं अनुसचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार अधिनियम) 1889 तथा अन्य कानून की सुसंगत धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया जाए.

by Lagatar News

Rani Sahu

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