झारखंड

छोटी-छोटी बातों पर सुसाइट अटेंप्ट, यंगस्टर्स की संख्या ज्यादा

Rani Sahu
26 July 2022 10:26 AM GMT
छोटी-छोटी बातों पर सुसाइट अटेंप्ट, यंगस्टर्स की संख्या ज्यादा
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कम उम्र में ही युवा हर कुछ चाहता है. पढ़ाई से लेकर पैसे की चाहत लिए ये युवा जब नाकाम कोशिश करते हैं और उन्हें कुछ हासिल नहीं होता तो ऐसी स्थिति में वे अपने जीवन को ही खत्म कर देना चाहते हैं

Ranchi: कम उम्र में ही युवा हर कुछ चाहता है. पढ़ाई से लेकर पैसे की चाहत लिए ये युवा जब नाकाम कोशिश करते हैं और उन्हें कुछ हासिल नहीं होता तो ऐसी स्थिति में वे अपने जीवन को ही खत्म कर देना चाहते हैं. ऐसे ही सैकड़ों मामले सामने आ रहे हैं जिसमें युवाओं ने अपनी जीवनलीला समाप्त करने के लिए सुसाइड अटेंप्ट लिया. इसमें ज्यादातर युवाओं की जान समय पर हॉस्पिटल पहुंचने से बच गई. लेकिन यह हमारे समाज के लिए एक बड़ी चुनौती बन गयी है. जहां छोटी-छोटी बातों पर ही लोग सुसाइड जैसे कदम उठा ले रहे हैं. जिससे साफ है कि युवाओं में टॉलरेंस कैपेसिटी खत्म हो गई है. वहीं बुजुर्गों की बात करें तो वे सुसाइड के लिए थोड़ा टाइम लेते हैं. प्लान करते हैं और इसके बाद सुसाइड तक कर लेते हैं.

हिंट्स दे तो टोकें, बच सकती है जान
साइकोलॉजिस्ट की माने तो सुसाइड करने वाले अटेंप्ट लेने से पहले कई बार हिंट्स देते हैं. ऐसे में आसपास में रहने वाले पैरेंट्स और लोगों को इसपर ध्यान देने की जरूरत है. वहीं हिंट्स देने पर उन्हें टोकना जरूरी है. इतना ही नहीं उनसे ये सवाल भी पूछे कि कोई विचार मन में आ रहा है तो बताए. इसके अलावा सुसाइड के बारे में सोचने की बात भी पूछ डाले. इससे हम कई जिंदगियों को बचा सकते हैं.
साढ़े चार साल में 561 ने लिया अटेंप्ट
राज्य में सुसाइड के मामले तो आते ही हैं. जिसमें लोग अपना जीवन खत्म कर देते हैं. लेकिन पिछले साढ़े चार साल में 561 लोगों ने सुसाइड अटेंप्ट किया है. इसके बाद उन्हें एंबुलेंस की मदद से हॉस्पिटलों में पहुंचाया गया. ये आकड़ें 108 फ्री एंबुलेंस सर्विस का संचालन कर रही एजेंसी जिकित्ज हेल्थ केयर ने उपलब्ध कराया है. जिसमें बताया गया कि इतने लोगों को उन्होंने राज्य में अलग-अलग हॉस्पिटल्स में पहुंचाने का काम किया. लेकिन ऐसे ही न जाने कितने और भी केस हैं जो सामने नहीं आ पाते.
ये है सिंपटम्स
डिप्रेशन में रहना
हमेशा निराश रहना
लोगों से अलग-अलग रहना
किसी भी तरह के इंजॉयमेंट से दूर रहना
जरूरत से ज्यादा नशा करना
अब कुछ दिन का मेहमान हूं कहना
साइकोलॉजिस्ट प्रो डॉ अजय कुमार बाखला की माने तो युवा आवेश में आ जाते हैं और तत्काल सुसाइड जैसे कदम उठा लेते हैं. हालांकि वे हिंट्स देते हैं लेकिन लोग उसपर ध्यान नहीं देते. इन चीजों पर नजर रखनी होगी. हाल में सुसाइट अटेंप्ट की घटनाएं तेजी से बढ़ी है. पैरेंट्स और आसपास रहने वाले लोग अलर्ट रहे. जरूरत पड़े तो उनकी काउंसेलिंग भी कराए.


Rani Sahu

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