झारखंड

राज्य में सूखे की आहट: तीन दशकों में इस साल हालात सबसे खराब, केंद्र से मदद की गुहार लगायेगी राज्य सरकार

Rani Sahu
23 July 2022 8:28 AM GMT
राज्य में सूखे की आहट: तीन दशकों में इस साल हालात सबसे खराब, केंद्र से मदद की गुहार लगायेगी राज्य सरकार
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राज्य में मॉनसून की रंगत इस बार फीकी है. किसानों के लिहाज से राज्य के कमोबेश सभी पांचों डिवीजनों में औसत से भी कम बारिश हुई है

Ranchi : राज्य में मॉनसून की रंगत इस बार फीकी है. किसानों के लिहाज से राज्य के कमोबेश सभी पांचों डिवीजनों में औसत से भी कम बारिश हुई है. इसका खामियाजा भी उठाना पड़ा है. सुखाड़ संकट तय दिख रहा है. कई जिलों में तो बुआई की स्थिति चिंताजनक है. इसे लेकर कृषि पशुपालन विभाग के माथे पर बल पड़ने लगे हैं. गढ़वा जिले में अब तक एक से डेढ़ प्रतिशत ही बुआई हुआ है. पलामू जिले में अब तक 0.25% ही बुआई का कार्य हो पाया है. राज्य में 15 मई से 15 अगस्त तक बुआई का मुख्य समय होता है. करीब 2 माह अधिक समय बीतने के बाद भी स्थिति भयावह है. यहां वास्तविक रेनफॉल 83% कम हुआ है. कृषि मंत्री बादल के मुताबिक अगर अगले 10 दिनों के अंदर अगर भारी बारिश नहीं हुई तो खासकर पलामू प्रमंडल में 30 साल पहले वाले सुखे की समस्या खड़ी हो सकती है. आसन्न स्थिति को देखते राज्य सरकार किसानों को फसल राहत योजना का लाभ देने की तैयारी में लग गयी है. केंद्र से भी मदद लिये जाने की संभावना बनती दिख रही है.

किस प्रमंडल में क्या है स्थिति
धान का बिचड़ा लगाये जाने का काम 15 मई से ही राज्य में शुरू था. पर बारिश के अभाव में इस पर भी आफत बनी रह गयी है. जुलाई माह के तीसरे सप्ताह (20 जुलाई) तक राज्य के अलग अलग डिवीजनों में उम्मीद के मुताबिक बारिश हुई ही नहीं है. राज्य के अलग अलग प्रमंडलों पलामू, उत्तरी छोटानागपुर, दक्षिणी छोटानागपुर, संताल परगना और कोल्हान के इलाकों में (डिवीजनल एवरेज) औसतन बारिश 70.6 फीसदी तक ही हुई है. सबसे खराब स्थिति संतालपरगना के जिलों की है. यहां दुमका, देवघर, जामताड़ा, गोड्डा, साहेबगंज, पाकुड़ जैसे जिलों में 34.5 फीसदी तक ही बारिश हुई है. पलामू डिवीजन की स्थिति भी अच्छी नहीं है. यहां गढ़वा में 38.1 फीसदी, पलामू में 43.9 और लातेहार में 47.2 फीसदी ही बारिश हुई है. हजारीबाग में 63.5, रामगढ़ में 78.5, चतरा में 23.9, कोडरमा में 33.4, गिरिडीह में 40.1, धनबाद में 83.4 और बोकारो में 70.7 फीसदी बारिश का आंकड़ा रिकॉर्ड हुआ है. कुछ हद तक कोल्हान के पूर्वी सिंहभूम (136.6), पश्चिमी सिंहभूम (192.7), सरायकेला खरसावां (103.7) की है जहां औसतन 144.3 फीसदी तक बारिश हुई है. कुछ हद तक रांची, खूंटी, गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा की स्थिति भी ठीक है जहां यह आंकड़ा 106.2 फीसदी तक का है.
फसल राहत से आस
कृषि मंत्री बादल ने 22 जुलाई को पलामू प्रमंडल के अलग अलग जिलों (लातेहार, पलामू) का दौरा किया था. क्षेत्र में कमजोर मानसून और उसके बाद आसन्न संकट की समीक्षा की थी. माना था कि स्थिति चिंताजनक है. मानसून की स्थिति को देखते हुए सरकार व स्थानीय प्रशासन किसानों के लिए संवेदनशीलता के साथ खड़ा है. पलामू प्रमंडल सहित राज्य में सुखाड़ की स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है. किसानों को झारखंड राज्य फसल राहत योजना का लाभ दिया जाएगा. इसके तहत फसल में 30% से 50% की क्षति पर 3,000 रूपये प्रति एकड़ (अधिकतम 15,000 रूपये) एवं 50% से अधिक के फसल नुकसान पर क्षतिपूर्ति के रूप में 4,000 रुपये प्रति एकड़ (अधिकतम 20,000 रुपये) का लाभ दिये जाने का प्रावधान किया गया है. यह प्रावधान रैयती जमीन एवं बटाई पर खेत लेकर खेती करने वालों किसानों पर लागू होगी. मंत्री ने कहा कि सुखाड़ की स्थिति होने पर आपदा प्रबंधन के साथ केंद्र एवं राज्य सरकार मिलकर राहत कार्य चलाएगी. पलामू डीसी ने 15वें वित्त की राशि से पुराने बांध के जीर्णोद्धार का निर्णय लिया है. पलामू में हर वर्ष सुखाड़ की स्थिति की विभीषिका देखते हुए यहां के लिए स्थाई समाधान की तैयारी भी सरकार कर रही है. मजबुत एक्शन प्लान तैयार किया जाएगा और वैकल्पिक खेती कराने की पहल होगी, लेकिन तत्काल वर्तमान स्थिति निपटने की तैयारी है.
Rani Sahu

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