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फर्जी डिग्री मामले में राजोरी जिले के 8 शिक्षकों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया है। इनकी डिग्री बनाने वाला एक एजेंट भी आरोप पत्र में शामिल है। इन लोगों ने ग्लोबल ओपन यूनिवर्सिटी नागालैंड की शारीरिक शिक्षा में फर्जी डिग्री लेकर नियुक्ति ली। मामला वर्ष 2018 का है। सभी राजोरी जिले के रहने वाले हैं।
वीरवार को क्राइम ब्रांच की ओर से इसे लेकर 489 पन्नों का आरोप पत्र दायर किया गया। आरोपियों में शैदा अख्तर निवासी चौकियां दरहाल, गुलजार हुसैन निवासी दरहाल चौकियां, परवीन अख्तर निवासी ख्याौरा, कुलदीप सिंह निवासी नौशेरा, जमील हुसैन निवासी दोदासन बाला, उत्तमजीत सिंह निवासी नौशेरा, रघुबीर चंदर निवासी पतरारा, नीलम कुमारी निवासी ठंडापानी, मोहम्मद शब्बीर निवासी सैमसमित शामिल हैं।
राजोरी जिले के कई बेरोजगार युवकों ने क्राइम ब्रांच के पास शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया था कि वर्ष 2010 के दौरान सचिव एसएसआरबी श्रीनगर द्वारा राजोरी में करीब 130 नियुक्तियां की गईं हैं और अधिकांश उम्मीदवारों के पास सीपीईडी यानी शारीरिक शिक्षा में प्रमाणपत्र थे।
प्रमाणपत्रों का प्रबंधन ग्लोबल ओपन यूनिवर्सिटी नागालैंड के शिक्षकों द्वारा किया गया है, जबकि वे इसकी कक्षाओं में भाग लेने के लिए कभी भी शारीरिक रूप से विश्वविद्यालय में शामिल नहीं हुए। इसके बाद जांच के दौरान शिकायतकर्ताओं के बयान दर्ज किए गए।
मामले में बीएड डिग्रियां जब्त कर ली गईं और यह पाया गया कि आरोपी उम्मीदवारों को शारीरिक शिक्षा शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था। यह डिग्रियां फर्जी निकलीं, जिनके आधार पर इन लोगों ने वेतन भी लिया।
न्यायिक अधिकारी की बर्खास्तगी बरकरार
जम्मू। धोखे से आरबीए श्रेणी का प्रमाण हासिल करने वाले न्यायिक अधिकारी मोहम्मद युसुफ की बर्खास्तगी बरकरार रहेगी। युसुफ ने जिला उपायुक्त द्वारा प्रमाण पत्र को धोखे से हासिल किया हुआ बताया है। वीरवार को इस मामले से जुड़ी याचिका पर उच्च न्यायालय की श्रीनगर विंग की खंडपीठ न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और मोहन लाल ने सुनवाई की।
दोनों तरफ की दलीलें सुनने के बाद बर्खास्तगी को बरकरार रखने का फैसला किया। खंडपीठ ने कहा कि विभागीय जांच संविधान के अनुच्छेद 311 का उल्लंघन नहीं है, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने माना है। इन टिप्पणियों के साथ याचिका खारिज कर दी।
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