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जम्मू और कश्मीर
आज 21 मार्च को है अंतरराष्ट्रीय वन दिवस, जम्मू कश्मीर में 2021 में घटा वन क्षेत्र
Ritisha Jaiswal
21 March 2022 3:43 PM GMT
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आज 21 मार्च को देश सहित दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय वन दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। वनों का महत्व मानव जीवन में बहुत ही खास है।
आज 21 मार्च को देश सहित दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय वन दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। वनों का महत्व मानव जीवन में बहुत ही खास है। इसे समझना हमारे लिए ज्यादा मुश्किल भी नहीं है। हालांकि, वर्तमान समय में वनों पर संकट गहराते जा रहे हैं। इसी का कारण है कि इस दिवस को मनाकर दुनिया में वनों के महत्व को लेकर जागरूकता फैलाई जा रही है।
देश के पर्वतीय राज्यों में हाल के दिनों में वन क्षेत्रों में कमी आई है। भारतीय वन सर्वेक्षण की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू और कश्मीर में 2019 में 4,270 वर्ग किलोमीटर (किमी) में बहुत घने वन थे, जो 2021 में घटकर 4,155 वर्ग किलोमीटर रह गए। हिमाचल प्रदेश के कुल वन क्षेत्र में नौ वर्ग किमी की वृद्धि बताई गई है। लेकिन छितरे और मध्यम घनत्व श्रेणी के वनों में (40 से 60 प्रतिशत तक कवर) कमी आई है। रिपोर्ट में हिमालय और उत्तर पूर्व में वनाच्छादित क्षेत्र में ह्रास का कारण विकास गतिविधियां और कृषि क्षेत्र में वृद्धि दर्शाया गया है।
तापमान में होगी बढ़ोतरी
भारतीय वन सर्वेक्षण की रिपोर्ट में भविष्यवाणी की गई है कि हिमालयी राज्यों और केंद्र शासित राज्यों, जैसे लद्दाख, जम्मू और कश्मीर, और हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में तापमान में अधिकतम वृद्धि रिकॉर्ड की जाएगी और संभवतः वर्षा में कमी का अनुभव होगा, लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों में वर्षा अधिक होगी। रिपोर्ट के अनुसार, भारत के कुल वन क्षेत्र में 1,540 वर्ग किमी की वृद्धि हुई है और वृक्षों के आवरण में 721 वर्ग किमी की। देश में कुल वन क्षेत्र 7,13,789 वर्ग किमी है, जो देश के भूक्षेत्र का 21.27 प्रतिशत है। वर्ष 2019 की रिपोर्ट में यह आंकड़ा 7,12,249 वर्ग किमी था। तीन दक्षिण राज्यों, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक और दो पूर्वी राज्यों, ओडिशा और झारखंड में वन क्षेत्र में सर्वाधिक वृद्धि हुई है। उत्तर पूर्व के राज्यों में वनों की सर्वाधिक हानि हुई है।
कई देश अपनी वन संपदा की कर रहे रक्षा
जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान के पूर्व प्रोफेसर वीर सिंह के अनुसार, वनों की अंधाधुंध कटाई हमारे समय की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक है। वर्ष 1990 के बाद से पृथ्वी ने 13 लाख वर्ग किमी, यानी दक्षिण अफ्रीका से भी बड़े क्षेत्र के बराबर वनों को उजाड़ दिया है। हालांकि कई देश अपनी वन संपदा की रक्षा कर रहे हैं। सोवोर्ल्ड पत्रिका के अनुसार, दक्षिण अमेरिका का सूरीनाम पहला ऐसा देश है, जिसकी 98.3 प्रतिशत भूमि वनों से आच्छादित है। माइक्रोनेशिया का संघीय राज्य, गाबोन, सेशेल्स, और पलाउ क्रमशः दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान पर हैं। ये देश शेष विश्व के लिए अनुकरणीय हैं। लेकिन कुछ देशों ने तो लगता है हरियाली से संबंध विच्छेद ही कर लिया है। जब तक धरती पर वन हैं, तब तक जीवन है। सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक खुशहाली और भविष्य की आशाओं के कल्ले वनों में ही फूटते हैं। इसलिए जरूरी है कि हमारी सोच, हमारी संस्कृति, हमारा दर्शन, हमारी सारी नीतियां, कार्यक्रम और रणनीतियां वनों की हरियाली से हरी रहें
Ritisha Jaiswal
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