जम्मू और कश्मीर

कुछ साल पहले तक माच्छिल सेक्टर में पाकिस्तान के दागे गए बमों के धमाकों की आवाज सुनाई देती थी, अब गूंज रही स्कूल की घंटी

Renuka Sahu
7 July 2022 2:19 AM GMT
Till a few years ago, the sound of blasts of Pakistani bombs was heard in Machhil sector, now the school bell is ringing.
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फाइल फोटो 

माच्छिल सेक्टर में कुछ साल पहले तक पाकिस्तान के दागे गए बमों के धमाकों की आवाज सुनाई देती थी।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। माच्छिल सेक्टर में कुछ साल पहले तक पाकिस्तान के दागे गए बमों के धमाकों की आवाज सुनाई देती थी। आज इस इलाके में आर्मी गुडविल स्कूल (एजीएस) राघवन की घंटियां सुनने को मिलती हैं। लाइन ऑफ़ कंट्रोल (एलओसी) के करीब रहने वाले कई गावों के बच्चे इस स्कूल में पढ़ने के लिए आते हैं। मुश्किल भौगोलिक परिस्थितियों में चल रहे स्कूल का रिजल्ट पिछले पांच साल से 100 प्रतिशत आ रहा है।

सूंटवारी गांव में आर्मी गुडविल स्कूल की हुई शुरुआत

श्रीनगर से करीब 180 किमी दूर माच्छिल सेक्टर की एलओसी पर बसे सूंटवारी गांव में आर्मी गुडविल स्कूल की शुरुआत 17 अक्तूबर 2000 में की गई थी। शुरुआत में यह स्कूल 5वीं कक्षा तक था। वर्ष 2004 में इसे 8वीं कक्षा तक अपग्रेड किया गया। इस स्कूल में सूंटवारी, सूंट बाला, सूंट पायीन, डोबन और हाजी मोहल्ला के बच्चे भी पढ़ने आते हैं।
सेना की 53 इन्फेंट्री ब्रिगेड कर रही स्कूल संचालित
स्कूल का नाम शहीद लेफ्टिनेंट कर्नल एजीएस राघवन के सम्मान में रखा गया है। उन्होंने 24 जून, 1999 में देश की रक्षा में जान न्योछावर की थी। इस स्कूल को सेना की 53 इन्फेंट्री ब्रिगेड द्वारा संचालित किया जा रहा है।अक्तूबर 2019 तक यह इलाका संघर्ष विराम उल्लंघन में गोलीबारी का शिकार रहा।
स्कूल में आधुनिक तरीके से शिक्षा मिल रही
इन बच्चों की जान पर बन आती थी। अब संघर्ष विराम समझौते के बाद इन बच्चों को सेना द्वारा संचालित स्कूल में आधुनिक तरीके से शिक्षा मिल रही है। एजीएस राघवन स्कूल के प्रिंसिपल कैप्टन बीएस बिरादर ने कहा, स्कूल में बच्चों को शिक्षा के लिए सभी सुविधाएं हैं।
जम्मू-कश्मीर स्कूल शिक्षा बोर्ड के सिलेबस के तहत बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। अनुभवी शिक्षक रखे गए हैं। साइंस और कंप्यूटर लैब के अलावा लाइब्रेरी, ऑडिटोरियम भी बनाया गया है। स्कूल में अभी 114 छात्र पढ़ रहे हैं। स्कूल की फीस नर्सरी तक 140 रुपये जबकि उससे आगे 8वीं तक 150 रुपये है।
इसके अलावा हॉस्टल की सुविधा उन बच्चों के लिए मुफ्त रखी गई है जो 5 किलोमीटर दूर रहते हैं। उन्हें खाना-पीना और रहना सब निशुल्क है। छात्र साकिब ने कहा कि स्कूल में अच्छी पढ़ाई होती है। फीस भी बाकी स्कूलों के मुकाबले बहुत कम है।
यह सुविधा देने के लिए हम सेना के शुक्रगुजार हैं। साकिब के मुताबिक वह बड़े होकर शिक्षक बनना चाहता है। 7वीं कक्षा के छात्र अस्मत ने बताया कि स्कूल में साइंस लैब भी है। इसके चलते हम प्रयोग कर पाते हैं।
अमन के माहौल में पढ़ रहे बच्चे
सूंटवारी के मोहम्मद रुस्तम तांत्रे का कहना है कि यह स्कूल एलओसी के बेहद करीब है। गोलाबारी में हम बच्चों को स्कूल नहीं भेज पाते थे। जान का खतरा होता था। अब संघर्ष विराम समझौते के बाद से बच्चे चैन से पढ़ रहे हैं। हमारे बच्चों को यहां जितनी सुविधा है उतनी सरकारी स्कूल में भी नहीं है


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