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स्कूल में बच्चों को दी जाने वाली शारीरिक और मानसिक सज़ा
जम्मू कश्मीर के के निजी, सरकारी स्कूल और कोचिंग संस्थानों में बच्चों को शारीरिक व मानसिक दंड पर प्रतिबंधित लगा दिया है। अब स्कूल में बच्चों को थप्पड़ मारना, बाल खींचना, लाठी से मारना, बेंच पर खड़ा करना, दीवार के साथ खड़ा करने पर आरोपी को तीन साल तक की जेल और पांच लाख रुपये तक जुर्माना देना होगा।
कश्मीर संभाग के स्कूलों में बच्चों को शारीरिक दंड देने की रिपोर्ट मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान, कश्मीर ने जारी की है। इसमें बताया है कि स्कूलों में शारीरिक दंड का असर बच्चों के मानसिक स्वस्थ पर पड़ रहा है। इसके बाद स्कूल शिक्षा निदेशालय कश्मीर ने शैक्षणिक संस्थानों में शारीरिक दंड व अन्य बाल उत्पीड़न पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया है।
ऐसा करने वालों के खिलाफ आरईटी एक्ट 2009 के सेक्शन 17 और किशोर न्याय अधिनियम के सेक्शन 75 के तहत कार्रवाई करने की बात कही है, जिसमें तीन साल की जेल और पांच लाख रुपये जुर्माना शामिल हैं। प्रावधान के तहत अगर उस स्कूल या कोचिंग में मिले दंड से बच्चे के स्वस्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है तो सजा दस साल को बढ़ जाएगी।
परिपत्र में कहा कि शारीरिक दंड से न सिर्फ बच्चे की पढ़ाई पर असर पड़ता है बल्कि शैक्षणिक संस्थान में डर का माहौल बनता है। इससे बच्चों का शैक्षिक व शारीरिक विकास प्रभािवत होता है। उनके मन में कुंठा घर कर जाती है।
शारीरिक दंड में इस पर प्रतिबंध
लात मारना, मुक्का व थप्पड़ मारना, बाल और कान खीचना, काटना, छड़ी व लाठी, जूता, डस्टर, बेल्ट से पीटना, बिजली के झटके देना, बच्चे को बेंच पर खड़ा करना, दीवार के साथ खड़ा करना, कुर्सी की तरह बच्चे को खड़ा रखना, सर पर स्कूल बैग लेकर खड़ा करना, मुर्गा बनाना, क्लास, लाइब्रेरी, शौचालय में बच्चे को बंद करना शामिल हैं।
मानसिक दंड में ये है प्रतिबंध
बच्चों की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला व्यंग्य, अपमानजनक विशेषणों का प्रयोग करते हुए नाम पुकारना और डांटना, जाति, परिवार के कामकाज के आधार बच्चे के साथ भेदभाव करना। बच्चे के स्वास्थ्य के कारण उनकी खिल्ली उड़ाना, बच्चे की प्रेरित करने के लिए अन्य बच्चों से उसको शर्मसार करवाना आदि शामिल है। हर तरह का यौन शोषण भी इसमें शामिल है।