जम्मू और कश्मीर

एक बार फिर जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग का कार्यकाल बढ़ाने की तैयारी, कम समय का होगा सेवा-विस्तार

Renuka Sahu
4 Feb 2022 4:50 AM GMT
एक बार फिर जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग का कार्यकाल बढ़ाने की तैयारी, कम समय का होगा सेवा-विस्तार
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फाइल फोटो 

न्यायमूर्ति रंजना देसाई के नेतृत्व में गठित जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग का कार्यकाल एक बार फिर बढ़ाने की तैयारी है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना देसाई के नेतृत्व में गठित जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग का कार्यकाल एक बार फिर बढ़ाने की तैयारी है। हालांकि, यह सेवा विस्तार कुछ सप्ताह के लिए ही होगा ताकि अंतिम रिपोर्ट जारी हो सके। आयोग का कार्यकाल छह मार्च तक है। ऐसे में अंतरिम रिपोर्ट पर सहायक सदस्यों, सांसद और आम जनता की आपत्तियों तथा सुझावों पर निस्तारण में कम से कम 42 दिन का समय चाहिए। ऐसी परिस्थिति में रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए कार्यकाल बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है।

जानकारों का कहना है कि परिसीमन आयोग के नियमों के अनुसार सुझाव व आपत्तियों के निस्तारण के लिए कम से कम 21 दिन और अधिकतम एक महीने का समय देना होगा। आयोग को सांसदों के सुझाव लेने के लिए 21 दिन और फिर जम्मू-कश्मीर की जनता के लिए 21 दिन का समय निर्धारित करना होगा। ऐसे में छह मार्च तक रिपोर्ट को अंतिम रूप नहीं दिया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव को लेकर भी आयोग से जुड़े सदस्यों की व्यस्तता है। गृह मंत्री भी उत्तर प्रदेश की चुनावी रैलियों में ज्यादा समय दे रहे हैं। ऐसे में अगले कुछ दिनों में आयोग का कार्यकाल कुछ सप्ताह के लिए बढ़ाने की घोषणा हो सकती है।
जम्मू-कश्मीर संविधान तथा जम्मू-कश्मीर जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत 1995 में गठित परिसीमन आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) केके गुप्ता का कहना है कि सुझाव तथा आपत्तियों के लिए कम से कम 21 दिन का समय निर्धारित है। इसके बिना आयोग अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप नहीं दे सकता है। उनका कहना है कि आयोग की रिपोर्ट अंतिम होती है। इसे कहीं भी चुनौती नहीं दी जा सकती है। ज्ञात हो कि न्यायमूर्ति गुप्ता की अध्यक्षता वाली इसी आयोग की रिपोर्ट के आधार पर 1996 से 2014 तक राज्य में विधानसभा चुनाव हुए।
चुनाव अक्तूबर से पहले मुश्किल
जम्मू-कश्मीर में अक्तूबर से पहले विधानसभा चुनाव होना मुश्किल है। चुनाव कार्यालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि परिसीमन का कार्य पूरा हो जाने के बाद नए सिरे से मतदाता सूची बनाने के साथ ही अन्य काम किए जाने हैं। मतदाता पुनरीक्षण के कार्य में भी कम से कम चार महीने का समय लग जाता है। ऐसे में जुलाई-अगस्त में बरसात तथा फिर अमरनाथ यात्रा का समय आ जाता है। यदि सब कुछ ठीक ठाक रहा तो अक्तूबर-नवंबर में चुनाव कराने की स्थिति बन सकती है।
ड्राफ्ट रिपोर्ट कभी भी
परिसीमन आयोग ने अंतरिम रिपोर्ट तैयार कर ली है। यह कभी भी सहयोगी सदस्यों को सौंपी जा सकती है ताकि सुझाव व आपत्तियां ली जा सकें। सूत्रों का कहना है कि संसद सत्र चलने की वजह से दिल्ली में ही सांसद हैं। ऐसे में उन्हें शुक्रवार को ड्राफ्ट रिपोर्ट सौंपी जा सकती है। भाजपा सांसद जुगल किशोर शर्मा पंजाब के गुरदासपुर में चुनाव प्रचार में हैं। ज्ञात हो कि भाजपा के दो तथा नेकां के तीन सांसद सहयोगी सदस्य हैं।
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