जम्मू और कश्मीर

गर्मी में बिजली संकट से जूझ रहे जम्मू-कश्मीर के लिए राहत की खबर, प्रदेश को मिली अतिरिक्त 207 मेगावाट बिजली, केंद्र ने कोटा बढ़ाया

Renuka Sahu
28 April 2022 2:30 AM GMT
News of relief for Jammu and Kashmir facing power crisis in summer, state got additional 207 MW power, Center increased quota
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फाइल फोटो 

चिलचिलाती गर्मी में बिजली संकट से जूझ रहे जम्मू-कश्मीर के लिए राहत की खबर है। कें

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चिलचिलाती गर्मी में बिजली संकट से जूझ रहे जम्मू-कश्मीर के लिए राहत की खबर है। केंद्र ने हालात को देखते हुए प्रदेश को 207 मेगावाट बिजली का अतिरिक्त कोटा आवंटित किया है। बुधवार आधी रात से अतिरिक्त बिजली का आवंटन प्रभावी हो गया है, जिसका बिजली आपूर्ति पर वीरवार से असर दिखेगा।

प्रदेश में इन दिनों 3000 मेगावाट के आसपास बिजली की मांग चल री है, जबकि इससे आधी बिजली भी नहीं मिल रही है। कई इलाकों में रोज 13 से 15 घंटे तक बिजली कट लग रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में हालात ज्यादा खराब हैं। जम्मू संभाग में 40 डिग्री तापमान के बीच बिजली संकट से बेहाल लोग जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं।
बुधवार को प्रदेश में 3200 मेगावाट बिजली की मांग थी, लेकिन ग्रिड से महज 1300 मेगावाट के आसपास ही बिजली मिली। जम्मू संभाग में 1500 मेगावाट बिजली की मांग थी, लेकिन 600 से 700 मेगावाट बिजली ही मिल पाई। इसी तरह से कश्मीर संभाग में 1700 मेगावाट बिजली की मांग के मुकाबले महज 700 से 800 मेगावाट बिजली की आपूर्ति हुई।
अप्रैल में जम्मू-कश्मीर ने 52 करोड़ रुपये की अतिरिक्त बिजली खरीदनी थी, लेकिन देश भर में मांग ज्यादा होने के चलते 25 अप्रैल तक प्रदेश को 10.41 करोड़ की बिजली ही मिल पाई।
देश में बिजली के कुल उत्पादन में से 70 फीसदी कोयले से तैयार होती है, जबकि शेष बिजली का स्रोत पनबिजली परियोजनाएं हैं। जम्मू-कश्मीर में कोयला और पन बिजली से 50-50 फीसदी बिजली की आपूर्ति होती है। सरकार के अनुसार मार्च माह में 122 वर्ष बाद और अप्रैल में 50 वर्ष बाद इतनी ज्यादा गर्मी हुई है। इससे बिजली की मांग अचानक बढ़ गई। मई में बर्फ पिघलने से नदियों का जलस्तर बढ़ता है, जिससे बिजली ज्यादा तैयार होती है।
प्रदेश में चल रहे 28 प्रोजेक्ट, 50 फीसदी तक घटा उत्पादन
जम्मू-कश्मीर में पन बिजली उत्पादन की 28 परियोजनाएं चल रही हैं। इनसे कुल 4400 मेगावाट बिजली तैयार होती है। ज्यादातर बड़ी परियोजनाएं एनएचपीसी की हैं, जहां से बिजली राष्ट्रीय ग्रिड में भेजी जाती है। प्रदेश को अपनी परियोजनाओं के अलावा राष्ट्रीय ग्रिड से बिजली खरीदनी पड़ती है। कम बारिश के चलते प्रदेश की परियोजनाओं में उत्पादन 50 फीसदी तक प्रभावित हुआ है। अधिकारियों के अनुसार नदियों में पानी का स्तर कम हुआ है। जैसे-जैसे जलस्तर बढ़ेगा, बिजली उत्पादन के आंकड़ों में सुधार होगा।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेकां उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि स्मार्ट मीटर लगाने पर भी लोग बिजली संकट झेल रहे हैं। श्रीनगर शहर में भी हालात खराब हैं। सर्दियों में शेड्यूल के अनुसार बिजली की आपूर्ति मिलती थी। गैर मीटर वाले इलाकों में तो स्थिति और भी खराब थी।
छात्र, नमाजी, मरीज भी परेशान
बढ़ती गरमी के बीच बिजली संकट ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। रमजान माह में मुस्लिम समुदाय को सहरी और इफ्तार के वक्त बिजली संकट से जूझना पड़ रहा है। सीबीएसई की परीक्षाएं दे रहे विद्यार्थी बिजली संकट में ठीक से तैयारी नहीं कर पा रहे हैं। वहीं सामान्य जनजीवन भी दिन और रात बिजली के बिना परेशानियां झेल रहा है। बच्चों, बुजुर्गों और मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है।
क्षेत्रवार कटौती के लिए जनता को सूचित करें
पीडीडी के प्रधान सचिव नीतीश्वर कुमार ने बुधवार को विभागीय अधिकारियों और इंजीनियरों के साथ बैठक कर बिजली आपूर्ति की समीक्षा की। प्रधान सचिव ने ग्रिड स्टेशनों पर मध्य प्रबंधन स्तर के अधिकारियों को बिजली शेड्यूल की निगरानी के लिए तैनात रहने के निर्देश दिए। सभी उपलब्ध प्लेटफार्मों का उपयोग करके क्षेत्रवार कटौती कार्यक्रम को जनता को सूचित किया जाए।
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