जम्मू और कश्मीर

जम्मू कश्मीर में हड़ताल पर गए बिजली कर्मचारियों के साथ बातचीत नाकाम, सेना तैनात

Renuka Sahu
20 Dec 2021 4:33 AM GMT
जम्मू कश्मीर में हड़ताल पर गए बिजली कर्मचारियों के साथ बातचीत नाकाम, सेना तैनात
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फाइल फोटो 

निजीकरण के विरोध में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए जम्मू कश्मीर के बिजली कर्मचारियों के साथ बातचीत नाकाम होने के बाद प्रशासन ने रविवार शाम बिजली की आपूर्ति के लिए सेना को बुलाया है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। निजीकरण के विरोध में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए जम्मू कश्मीर के बिजली कर्मचारियों के साथ बातचीत नाकाम होने के बाद प्रशासन ने रविवार शाम बिजली की आपूर्ति के लिए सेना को बुलाया है. सेना ने जम्मू के प्रमुख पावर स्टेशन पर मोर्चा संभालते हुए शहर में बिजली सप्लाई की आपूर्ति को दुरुस्त करने का काम शुरू कर दिया है.

जम्मू कश्मीर में बिजली के निजीकरण का विरोध कर रहे प्रदेश के 23,000 बिजली कर्मचारी शनिवार से अनिश्चित हड़ताल पर हैं. इस हड़ताल का व्यापक असर शनिवार से ही जम्मू के अधिकतर हिस्सों पर पढ़ा और शहर के करीब 50% इलाकों में बिजली गुल हो गई. इस हड़ताल का सबसे ज्यादा असर जम्मू के ग्रामीण इलाकों पर पड़ा. इसके बाद प्रशासन ने हड़ताली बिजली कर्मचारियों से कई राउंड बातचीत की और वह बातचीत विफल होने के बाद आखिरकार जम्मू के डिविजन कमिश्नर ने सेना की मदद मांगी. शहर में बिजली आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए सेना बुलाई गई.
वहीं, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुला ने इस मुद्दे को लेकर राज्य प्रशासन को विफल करार दिया है. अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा, 'जम्मू-कश्मीर के जम्मू संभाग में बिजली के बुनियादी ढांचे को संचालित करने के लिए सेना को बुलाया गया है. नागरिक प्रशासन के लिए सेना को बुलाने से बड़ी विफलता कुछ नहीं है. इसका मतलब है कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने शासन के पूरी तरह फेल होने को स्वीकार लिया है.'
45% तक बिजली आपूर्ति को बहाल!
सेना ने जम्मू के सभी प्रमुख ग्रिड स्टेशन पर बिजली की आपूर्ति को बहाल करने की सेवाएं रविवार रात को ही शुरू की और फिलहाल प्रशासन का दावा है कि 45% तक बिजली आपूर्ति को बहाल कर दिया गया है. प्रशासन ने यह भी दावा किया है कि सोमवार 12 बजे तक समूचे प्रदेश में बिजली को पूरी तरह से बहाल किया जाएगा. इस बीच हड़ताली कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि उनकी मांगे पूरी होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा और वह अनिश्चितकालीन हड़ताल पर ही रहेंगे.
उधर प्रशासन के सामने सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि प्रदेश में हड्डियां जला देने वाली ठंड पड़ रही है और इस ठंड में बिजली आपूर्ति का ठप होना आम लोगों को प्रभावित कर रहा था. लोगों को आ रही दिक्कतों से बचने के लिए प्रशासन ने हड़ताली कर्मचारियों से कई राउंड बातचीत की और कई सुझाव भी दिए गए. प्रशासन ने कर्मचारियों की पेंशन नियमितीकरण, वेतन वृद्धि और सेवा संबंधी मसलों पर बातचीत की लेकिन कर्मचारी प्रदेश में बिजली के निजीकरण को लेकर अपनी मांग पर अड़े थे.


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