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जम्मू और कश्मीर
श्रीनगर में शिया मुसलमानों ने निकाला मुहर्रम का जुलूस, 33 सालों से क्यों था इस पर बैन, जानिए पूरी स्टोरी
Manish Sahu
28 July 2023 12:19 PM GMT

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जम्मू और कश्मीर: शिया समुदाय को कई कोशिशों के बाद भी जुलूस की अनुमति नहीं मिल रही थी. उपराज्यपाल ने इस बार यह इजाजत दी, जिसके बाद श्रीनगर के बड़े इलाके में इसे निकाला गया.
श्रीनगर में शिया मुसलमानों ने निकाला मुहर्रम का जुलूस, 33 सालों से क्यों था इस पर बैन, जानिए पूरी स्टोरी
जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में गुरुवार को शिया समुदाय ने 8वें मुहर्रम के दिन जुलूस निकाला. करीब 3 दशक के बाद ऐसा हुआ है जब यहां शिया समुदाय ने ऐसा किया हो. कश्मीर में 1989 के बाद बिगड़े हालातों की वजह से इस जुलूस को अभी तक मंजूरी नहीं मिलती थी, लेकिन इस बार शियाओं की कोशिश सफल रही और उपराज्यपाल द्वारा कड़ी सुरक्षा में सशर्त जुलूस निकालने की इजाजत मिली.
कश्मीर से डिविजनल कमिश्नर विजय कुमार का कहना है कि 33 साल के बाद शियाओं को ये मौका मिला है, वह चाहते थे कि श्रीनगर के गुरु बाजार से डल गेट तक जुलूस निकालें, अब उन्हें मंजूरी दी गई है. उन्होंने कहा कि शिया भाइयों की भावनाओं का ख्याल रखा गया है और लंबे मंथन के बाद इसे मंजूरी दी गई थी. प्रशासन ने जुलूस के लिए तय रूट, वक्त और कुछ शर्तें सामने रखी थीं जिन्हें आयोजकों ने स्वीकारा.
आपको बता दें कि मुहर्रम के मौके पर शियाओं के जुलूस पर 1989 में ही प्रतिबंध लग गया था. ऐसा इसलिए क्योंकि 1989 के 8वें मुहर्रम पर जुलूस में कुछ आतंकवादी घुस आए थे, इसी वजह से काफी बवाल हुआ था. तब आतंकियों के HAJY ग्रुप यानी हमीद शेख, अशफाक मजीद, जावेद मीर और यासीन मलिक इसमें शामिल हुए थे. कश्मीर के बिगड़ते हालात को देखते हुए तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन ने जुलूस पर ही रोक लगा दी थी. Muharram Procession In Srinagar
दरअसल, सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक डर यह भी बना हुआ था कि आतंकी इस तरह के जुलूसों को अपना निशाना बना सकते हैं. शिया समुदाय को पहले भी निशाना बनाया जाता रहा है, ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों ने इसको लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहा. इस बीच छोटे स्तर पर जुलूस निकलते रहे हैं, लेकिन 8वें मुहर्रम और 10वें मुहर्रम के मौके पर जुलूस निकलना प्रतिबंधित रहा था.
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस मौके पर कहा कि राज्य में सड़क पर हिंसा समाप्त हो गई है और शांति के युग की नई शुरुआत हुई है. उन्होंने कहा कि राज्य में धार्मिक आयोजनों पर किसी तरह की राजनीति करना सही नहीं होगा. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी इस फैसले का स्वागत किया.
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