जम्मू और कश्मीर

युद्ध की चपेट में आए यूक्रेन में जम्मू-कश्मीर के 200 से ज्यादा छात्र फंसे, वापसी की कोशिशें

Renuka Sahu
25 Feb 2022 2:32 AM GMT
युद्ध की चपेट में आए यूक्रेन में जम्मू-कश्मीर के 200 से ज्यादा छात्र फंसे, वापसी की कोशिशें
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फाइल फोटो 

युद्ध की चपेट में आए यूक्रेन में जम्मू-कश्मीर के 200 से ज्यादा छात्र फंसे हुए हैं। इन छात्रों को वहां से लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। युद्ध की चपेट में आए यूक्रेन में जम्मू-कश्मीर के 200 से ज्यादा छात्र फंसे हुए हैं। इन छात्रों को वहां से लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। यह जानकारी वीरवार को जम्मू-कश्मीर छात्र संघ के प्रवक्ता नासिर खुहमी ने दी। इस बीच राजभवन के अधिकारियों का कहना है कि यूक्रेन में फंसे छात्र-छात्राओं को वापस लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। हम यूक्रेन दूतावास के अधिकारियों के संपर्क में हैं और यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी छात्रों को सुरक्षित वापस लाया जाए।

खुहमी ने बताया कि उन्होंने 140 छात्रों के बारे में जानकारी राजभवन को सौंपी है। अन्य छात्रों के बारे में जानकारी एकत्र की जा रही है। ये छात्र पेशेवर और गैर-पेशेवर पाठ्यक्रमों के तहत विभिन्न कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे हैं। बड़ी संख्या में छात्र यूक्रेन की राजधानी कीव में पढ़ाई करते हैं। श्रीनगर के रहने वाले हैदरपोरा निवासी एजाज अहमद ने कहा, मेरा बेटा यूक्रेन में पढ़ रहा है और मेरा उससे संपर्क नहीं हो पा रहा है। मैं उसे लेकर चिंतित हूं?
यूक्रेन में सभी एटीएम बंद हो गए, सिर्फ तीन दिन का खाना बचा
कश्मीर और पुंछ के 16 छात्र भी यूक्रेन में फंसे हुए हैं। सभी वहां मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें 15 छात्र कश्मीर और एक मेंढर का है। मेंढर का नासिम चौधरी युद्ध के हालात में भी अपने परिजनों को हौसला दे रहा है। कहा- कि आप चिंता न करें, अल्लाह सब ठीक करेगा। नासिम ने पिता से बात करते हुए वहां के हालात बताए। कहा, यूक्रेन में सभी एटीएम बंद हो गए हैं। उनके पास दो से तीन दिन का ही खाने पीने का सामान मौजूद है।
यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे श्रीनगर के दानिश ने बताया कि यहां काफी हालात खराब हैं और तनाव का माहौल है। उसके साथ करीब 14 और कश्मीरी छात्र हैं। सभी एक साथ हैं। उधर रूस के हमले के बाद छात्रों के जम्मू-कश्मीर में मौजूद परिजनों में उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। उन्होंने केंद्र सरकार से बेटों की सुरक्षित वापसी की गुहार लगाई है।
मेंढर के गांव पराटां निवासी नासिम चौधरी लाइवली मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस तीसरे सेमेस्टर की पढ़ाई कर रहा है। नासिम के पिता मोहम्मद अजीज चौधरी पुलिस से सेवानिवृत्त हैं और वर्तमान में जम्मू में रह रहे हैं। वह वीरवार देर शाम दिल्ली रवाना होने की तैयारी कर रहे थे।
मोहम्मद अजीज चौधरी ने फोन पर बात करते हुए बताया कि हम लोग कल रात से जाग रहे हैं और जब से टीवी पर यूक्रेन पर रूस के हमले की खबरें मिली हैं, हमारी चिंता और बढ़ गई है। उन्होंने बताया कि बुधवार रात आठ बजे बेटे से बात हुई थी। युद्ध के हालात से वह भी परेशान हैं, लेकिन हमें हौसला दे रहा था कि आप चिंता न करें, अल्लाह सब ठीक करेगा।
नासिम ने बताया कि यूक्रेन के सभी एटीएम भी बंद हो गए हैं। उनके पास दो से तीन दिन का ही खाने पीने का सामान मौजूद है। अजीज ने बताया कि इसके बाद उनकी बेटे से बात नहीं हो पाई। गांव पराटां में रहने वाले नासिम के रिश्तेदार भी उसकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।
हालात काफी खराब और तनाव का मौहाल
श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र अथवाजन का दानिश रसूल यूक्रेन की ओडेसा नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है। उसका पांचवां साल है। दानिश के पिता गुलाम रसूल शेख ने कहा कि जैसे ही उन्होंने टीवी में यूक्रेन पर रूसी हमले की खबर देखी तो बेटे की सुरक्षा को लेकर चिंता काफी बढ़ गई है।
रसूल ने बताया कि उनके बेटे ने बताया कि वहां माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया है। उसके साथ और भी कश्मीरी छात्र हैं, जो यहां फंसे हुए हैं। रसूल ने केंद्र सरकार से अपील की कि वह वहां फंसे भारतीय छात्रों की घर वापसी में मदद करें। दानिश की बहन भी अपने भाई को लेकर काफी चिंतित है।
यूक्रेन के ओडेसा में फंसे दानिश रसूल ने फोन पर अमर उजाला के साथ विशेष बातचीत में कहा कि वह वहां मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं और उनका पांचवां साल है। दानिश ने बताया कि ओडेसा नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में करीब 15 कश्मीरी छात्र हैं जो यहां फंसे हुए हैं। दानिश ने बताया कि यहां काफी हालात खराब हैं और तनाव का माहौल है।
भारतीय दूतावास की सलाह-सायरन सुनाई दे तो बंकरों में जाएं
दानिश ने बताया कि भारतीय दूतावास की ओर से एडवाइजरी जारी की गई है कि वह जहां हैं वहीं रहें। अगर सायरन की आवाज सुनाई देती है तो गूगल मैप का इस्तेमाल कर नजदीक के अंडरग्राउंड बंकरों में चले जाएं। दानिश ने कहा कि उम्मीद करते हैं कि केंद्र सरकार उनकी अपील पर गौर करेगी। उन्होंने कहा कि फिलहाल यूक्रेन आर्मी बेस को निशाना बनाया जा रहा है।
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