जम्मू और कश्मीर

मध्याह्न भोजन तांबे और कांसे के बर्तनों में पकाया जाता

Sonam
24 July 2023 6:12 AM GMT
मध्याह्न भोजन तांबे और कांसे के बर्तनों में पकाया जाता
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जम्मू-कश्मीर के सरकारी स्कूलों में बच्चों को कांसा और तांबे के पात्रों में बना मिड-डे मील का भोजन परोसा जाएगा। इसे खाकर बच्चे शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनेंगे। इससे प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 8.30 लाख से ज्यादा विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा। अभी एल्युमीनियम के बर्तनों में मिड-डे मील का खाना बन रहा है।

भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि एल्युमीनियम हानिकारक धातु है, जिससे सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है। मंत्रालय के मुताबिक लंबे समय तक इन बर्तनों का इस्तेमाल होने के कारण एनीमिया और मानसिक कमजोरी सहित अन्य बीमारियां भी हो सकती हैं।

यही नहीं बिना कोट किए हुए एल्युमीनियम के बर्तनों में खाना पकाने से इसकी धातु भोजन में भी मिल जाती है। खासकर बच्चे इससे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे में इस धातु के बने बर्तनों का इस्तेमाल न किया जाए। जम्मू-कश्मीर के करीब 20 हजार स्कूलों के लगभग आठ लाख 30 हजार बच्चों को मिड-डे मील का भोजन परोसा जा रहा है।

यहां पर एल्युमीनियम के बर्तनों का इस्तेमाल कम से कम करने के लिए कहा जाएगा। इसके साथ ही स्कूलों में सभी को जागरूक करने के निर्देश भी दिए हैं। ऐसे में अब इन स्कूलों के बच्चे तांबे या फिर कांसा के बर्तनों में बना पौष्टिक भोजन खाकर होनहार बनेंगे। इस बाबत निदेशक स्कूल शिक्षा जम्मू एके शर्मा का कहना है वह गाइडलाइन की जानकारी लेकर आगे की कार्रवाई करेंगे।

ऐसे एल्युमीनियम के बर्तनों का चलन होगा कम

जानकारों के मुताबिक यदि कोई एनजीओ स्कूलों में मिड-डे मील का खाना पहुंचा रही है तो उससे कांसे और तांबे के बर्तनों में भोजन बनाकर लाने के लिए कहा जाएगा। इसके अलावा जहां स्कूल या फिर प्रधान के जिम्मे मिड-डे मील की व्यवस्था है।

वहां पर एल्युमीनियम के बर्तनों में खाना बनाने का काम धीरे-धीरे कम किया जाएगा। यानी अब जो नए खाना बनाने के बर्तन खरीदे जाएंगे, वे कांसे और तांबे के होंगे। एल्युमीनियम के नए बर्तनों की खरीदारी नहीं होगी।

Sonam

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