जम्मू और कश्मीर

जामिया मस्जिद के मौलवी और जम्मू कश्मीर के मुफ्ती-ए-आजम ने कहा- कश्मीरी मुस्लिम अल्पसंख्यकों को अपने घरों में रखें

Renuka Sahu
4 Jun 2022 2:58 AM GMT
Maulvi of Jamia Masjid and Mufti-e-Azam of Jammu and Kashmir said – Keep Kashmiri Muslim minorities in their homes
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फाइल फोटो 

कश्मीर में आतंकियों द्वारा हिंदुओं को निशाना बनाने के खिलाफ स्थानीय उलेमा और मजहबी नेता सामने आ गए हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कश्मीर में आतंकियों द्वारा हिंदुओं को निशाना बनाने के खिलाफ स्थानीय उलेमा और मजहबी नेता सामने आ गए हैं। दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग की जामिया मस्जिद में जुमे की नमाज से पहले मौलवी फैयाज अमजदी ने कहा कि कश्मीर में अल्पसंख्यकों (हिंदुओं) की हिफाजत करना स्थानीय मुस्लिमों का फर्ज है।

अगर कोई अल्पसंख्यक खुद को असुरक्षित महसूस करता है तो उसे मुस्लिमों को अपने घर में ही रखना चाहिए। वहीं, जम्मू कश्मीर के मुफ्ती-ए-आजम मुफ्ती नासिर उल इस्लाम ने कहा कि आम लोगों को इन हत्याओं के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठानी होगी। हमें शरारती तत्वों को भय और नफरत का माहौल पैदा नहीं करने देना है।
बदलते परिवेश में सेना अब इसका विकल्प तलाश रही है।
दरअसल, वादी में कश्मीरी हिंदुओं व अन्य अल्पसंख्यकों ने हाल ही में हुई टारगेट किलिंग की वारदात के बाद वहां से निकलना शुरू कर दिया है। कश्मीरी हिंदुओं का एक संगठन अदालत से भी आग्रह कर चुका है कि उन्हें कश्मीर से बाहर बसाने के लिए प्रदेश व केंद्र सरकार को आदेश दिया जाए। कई विस्थापित कश्मीरी हिंदू कर्मचारी जम्मू लौट आए हैं।
वहीं, टारगेट किलिंग से कश्मीर के मजहबी नेताओं में रोष है। अनंतनाग में मौलवी फैयाज अमजदी ने कहा कि निर्दाेषों का कत्ल करने वाला मुसलमान नहीं हो सकता। कश्मीर में जिस तरह से टारगेट किलिंग और गैर मुस्लिमों को निशाना बनाया जा रहा है, वह अत्यंत दुखद और निंदाजनक है। सभी मुस्लिम इन हत्याओं के खिलाफ खड़े हों। कश्मीर में जहां भी अल्पसंख्यक हैं, उनमें सुरक्षा और विश्वास की भावना पैदा करें। किसी को यहां से घर छोड़कर नहीं जाना पड़े, ऐसा माहौल बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसी तरह हम चाहते हैं कि पूरे हिंदुस्तान में मुस्लिम भी खुद को सुरक्षित महसूस करें, ऐसा माहौल होना चाहिए।
कश्मीरी हिंदुओं के बिना कश्मीर अधूरा : मुफ्त-ए-आजम नासिर उल इस्लाम ने कहा-कश्मीरी मुस्लिम कभी भी यहां अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं रहा है। कश्मीरी हिंदूतो हमारे अपने भाई हैं। कश्मीरी हिंदुओं के बिना कश्मीर अधूरा है। यहां जब भी किसी निर्दाेष का कत्ल हुआ है, हमने उसकी निंदा की है। यहां आज लोगों में एक-दूसरे के प्रति अविश्वास बढ़ रहा है। मैं चाहता हूं कि लोग इस बात को समझें और आपस में भाईचारा बनाए रखें। कश्मीर में काम करने आए हिंदुओं व अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी यहां के स्थानीय लोगों की है और यह जिम्मेदारी कश्मीरी मुस्लिमों को निभानी होगी। आतंकी ङ्क्षहसा किसी भी तरह से जायज नहीं है।
हत्याओं को इस्लाम से जोड़ना गलत : कारवान-ए-इस्लामी के चेयरमैन मौलाना गुलाम रसूल हामी ने कहा कि किसी भी निहत्थे और निर्दाेष नागरिक की हत्या की इस्लाम में कोई इजाजत नहीं है। यहां होने वाली हत्याओं को इस्लाम से जोड़ना गलत है। इस्लाम में तो अल्पसंख्यकों की मदद और हिफाजत का हुक्म है। कश्मीरी मुस्लिमों को अपनी यह जिम्मेदारी निभानी होगी। अगर कोई किसी निर्दाेष की हत्या कर उसे इस्लाम के नाम पर जायज ठहराने का प्रयास करता है तो वह इस्लाम का सबसे बड़ा दुश्मन है।
आम कश्मीरी मुस्लिम इन हत्याओं से काफी दुखी है : कश्म र मामलों के विशेष बिलाल बशीर ने कहा कि जामिया मस्जिद अनंतनाग एक प्रभावशाली और अहम मजहबी संस्था है। वहां से उठने वाली आवाज को हुक्म माना जाता है। कश्मीर के मुफ्ती-ए-आजम ने भी साफ कर दिया है कि कश्मीरी मुस्लिमों को आगे बढ़कर अल्पसंख्यकों की हिफाजत की अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। आज वादी में लगभग हर मस्जिद में इसी मुद्दे पर खुतबा हुआ है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आम कश्मीरी मुस्लिम इन हत्याओं से कितना दुखी है।
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