जम्मू और कश्मीर

केंद्र द्वारा छीने गए अधिकारों को वापस पाने के लिए हमें भी किसानों की तरह देना पड़ सकता है बलिदान: फारूक के बोल

Gulabi
5 Dec 2021 1:04 PM GMT
केंद्र द्वारा छीने गए अधिकारों को वापस पाने के लिए हमें भी किसानों की तरह देना पड़ सकता है बलिदान: फारूक के बोल
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किसानों की तरह देना पड़ सकता है बलिदान
नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डॉ फारूक अब्दुल्ला ने रविवार को कहा कि केंद्र द्वारा छीने गए अधिकारों को पाने के लिए किसानों की तरह बलिदान देना पड़ सकता है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से एक ऐसा मंच तैयार करने को कहा जिससे केंद्र शासित प्रदेश को पूर्ण प्रदेश का दर्जा मिल सके।
हजरतबल में अपने पिता और नेकां के संरक्षक शेख अब्दुल्ला की पुण्यतिथि पर डॉ. फारूक ने कहा कि प्रत्येक नेकां कार्यकर्ता और नेता को हर गांव और इलाके में लोगों के संपर्क में रहना होगा। जिस तरह 700 किसानों के बलिदान के बाद केंद्र ने कृषि कानूनों को निरस्त किया। केंद्र द्वारा हमसे छीने गए अधिकारों को वापस पाने के लिए हमें भी इसी तरह का बलिदान देना पड़ सकता है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद जम्मू-कश्मीर में शांति और पर्यटन बढ़ने के बयान पर कहा कि अगर कश्मीर में पर्यटन बढ़ रहा है, तो इसका क्या मतलब है, क्या पर्यटन ही सब कुछ है।
उन्होंने कहा कि हैदरपोरा मुठभेड़ में मारे गए तीन लोगों के परिवारों के भारी विरोध के बाद पुलिस और प्रशासन को दो के शवों को बाहर निकालना पड़ा। इसके बाद उन्हें पीड़ित परिवारों को सौंपना पड़ा। तीसरे व्यक्ति का शव उधमपुर में उसके परिवार को सौंपा जाना बाकी है। उन्होंने पार्टी के लोगों से जनसंपर्क कार्यक्रम शुरू करने और कश्मीर के हर गांव और इलाके लोगों से जुड़ने की बात भी कही।
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