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नई दिल्ली, (आईएएनएस)। जम्मू कश्मीर के उधमपुर में दो खड़ी बसों में हुए विस्फोटों के पीछे स्टिकी बम की संभावना जताई जा रही है। इस बीच केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के डीजी कुलदीप सिंह ने भी माना कि सुरक्षा बलों के लिए स्टिकी बम एक उभरता हुआ खतरा है। सीआरपीएफ के डीजी ने गुरुवार को अपने विदाई भाषण के मौके पर ये बातें कहीं।
सीआरपीएफ के डीजी कुलदीप सिंह 30 सितंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इस मौके पर गुरुवार को उन्होंने आतंकवाद और नक्सलवाद से लेकर फोर्स द्वारा किए जा रहे कामों पर विस्तार से बातचीत की। जम्मू कश्मीर में आतंकियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले स्टिकी बमों के बारे में कुलदीप सिंह ने कहा कि वे एक बड़ा खतरा हैं। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि उधमपुर विस्फोटों में स्टिकी बमों के इस्तेमाल की अभी पुष्टि नहीं हुई है।
कुलदीप सिंह ने ये भी कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद जम्मू-कश्मीर की स्थिति में सुधार हुआ है। उन्होंने बताया कि जम्मू कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों की संख्या पहले 240 से ज्यादा हुआ करती थी। मगर अब 200 से कम हो गई है। इसके अलावा 112 आतंकियों को मारा गया है जबकि 156 पकड़े गए हैं। उन्होंने बताया कि अफगानिस्तान में तालिबान के अधिग्रहण के बाद जम्मू-कश्मीर में विदेशी आतंकवादियों की ताकत में थोड़ा इजाफा जरूर हुआ है।
जानकारी के मुताबिक उधमपुर ब्लास्ट को लेकर सुरक्षा एजेंसियां और जम्मू-कश्मीर पुलिस स्टिकी बम समेत सभी संभावनाओं पर विचार कर रही है। इसमें गृह मंत्री अमित शाह की जम्मू-कश्मीर की आगामी यात्रा से पहले डराना भी एक मकसद हो सकता है।
गौरतलब है कि सुरक्षा बलों द्वारा अमरनाथ यात्रा के दौरान स्टिकी बमों को बेअसर करने के लिए इजराइल जैसे देशों द्वारा विकसित तकनीकी और समाधानों के साथ संयुक्त वाहनों की नियमित भौतिक जांच भी की थी। यही वजह है कि डीजी ने इसे एक सफलता भी बताया है।
दरअसल स्टिकी बम एक ऐसा बम होता है, जिसे आसानी से कहीं भी चिपकाया जा सकता है। इसे मेटल की सतह पर भी आसानी से चिपकाया जा सकता है। स्टिकी बम का ज्यादातर इस्तेमाल वाहनों पर लगाकर किया जाता है। आकार में छोटा होने के कारण इसे आसानी से कहीं भी लगाया जा सकता है।
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