जम्मू और कश्मीर

34 साल बाद फिर खुला जस्टिस गंजू मर्डर केस

Manish Sahu
9 Aug 2023 6:39 PM GMT
34 साल बाद फिर खुला जस्टिस गंजू मर्डर केस
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जम्मू कश्मीर: दहशत केवल वही नहीं होती कि कोई आए, अंधाधुंध गोलियां चलाए और अगले पल आदमी ढेर हो जाए। दहशत केवल वह भी नहीं होती कि खचाखच भरी भीड़, बसों, दुकानों में बम रख दिए जाएं और धमाके के साथ पूरी जिंदगी ही हमेशा के लिए फना हो जाए। दहशत वो भी होती है जब एक जज को एक आतंकी को सजा सुनाने की एवज में हाईकोर्ट के पास ही गोलियों से छलनी कर दिया जाए। दहशत का आलन ऐसा की घंटों शव सड़क पर ही पड़ा रहा और कोई उसके निकट तक नहीं आया। लेकिन इस घटना के 34 साल बाद सेवानिवृत्त न्यायाधीश नीलकंठ गंजू की हत्या के पीछे की बड़ी साजिश का पता लगाने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस की राज्य जांच एजेंसी ने मामले की दोबारा जांच के लिए आम जनता से जानकारी मांगी है।
मकबूल भट को सुनाई थी सजा
सत्र और जिला न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में गंजू ने अगस्त 1968 में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के संस्थापक और नेता मकबूल भट को 1966 में पुलिस इंस्पेक्टर अमर चंद की हत्या के लिए मौत की सजा सुनाई थी। सेवानिवृत्ति के बाद 67 वर्षीय गंजू की 4 नवंबर को आतंकवादियों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 1968 में भट पर जस्टिस गंजू की सजा को 1982 में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा और उन्हें 1984 में तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई।
नंबर और ईमेल जारी
एसआईए ने गंजू हत्या मामले के तथ्यों या परिस्थितियों से परिचित सभी लोगों से अपील की कि वे आगे आएं और उन घटनाओं का विवरण साझा करें जिनका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से तत्काल मामले की जांच पर असर हो। एसआईए ने यह भी कहा है कि ऐसे सभी व्यक्तियों की पहचान छिपाकर रखी जाएगी। इसमें कहा गया है कि इसके अलावा सभी उपयोगी और प्रासंगिक जानकारी को उचित रूप से पुरस्कृत किया जाएगा। जनता से इस मामले से संबंधित किसी भी जानकारी के लिए एक नंबर और एक ईमेल पर संपर्क करने के लिए कहा गया है।
एक्शन में एसआईए
इस साल मई में एसआईए ने 1990 के एक अन्य मामले में गिरफ्तारियां कीं। अज्ञात आतंकवादियों द्वारा श्रीनगर के निगीन इलाके में मीरवाइज मोहम्मद फारूक के घर में घुसकर उनकी गोली मारकर हत्या करने के लगभग 33 साल बाद, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने दो संदिग्ध लोगों को गिरफ्तार करने का दावा किया है। हत्या में शामिल थे। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कहा कि आरोपी पिछले तीन दशकों से गिरफ्तारी से बच रहे थे। हुर्रियत अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक के पिता मीरवाइज फारूक की 21 मई 1990 को हत्या कर दी गई थी।
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