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जम्मू और कश्मीर
जम्मू-कश्मीर :अब मरीजों को पेसमेकर के लिए कई बाहर भटकने की जरूरत नहीं।
HARRY
12 Jun 2023 1:39 PM GMT
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उसी के मुताबिक प्रस्ताव बनाया गया था।
जम्मू-कश्मीर | भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जम्मू में हृदय के मरीजों के लिए पेसमेकर तैयार किया जाएगा। अब जम्मू-कश्मीर के मरीजों को पेसमेकर के लिए कई बाहर भटकने की जरूरत नहीं। उन्हें जम्मू में ही उपलब्ध होगा। पेसमेकर की कमी से किसी भी हृदय के मरीज को जूझने की जरूरत नहीं। साथ ही देशभर के मरीजों को भी लाभ मिलेगा।
इसके लिए आईआईटी को मेनिस्ट्री ऑफ इल्केट्रानिक्स एंड इंफ्रमेशन टेक्नॉलोजी के चिप टू स्टार्टएप प्रोग्राम के तहत इंप्लांटेबल पेसमेकर चिप अनुसंधान परियोजना मंजूर हुई है।इसमें 480 लाख रुपये की राशि है। इस राशि से पेसमेकर के साथ जम्मू-कश्मीर में स्टार्टअप और इसरों के लिए चिप भी तैयार की जाएगी। उसी के मुताबिक प्रस्ताव बनाया गया था।
आधुनिक प्रौद्योगिकी के प्रयोग से विशेषज्ञों संस्थान में ही नए अविष्कार करने का लक्ष्य रखा। देश भर के नामी प्रौद्योगिकी संस्थानों में आईआईटी को आईआईटी इंदौर, एबीवी आईआईटीएम ग्वालियर, एसजीएसआईटीएस इंदौर और आईईटी इंदौर की इस परियोजना के लिए भागीदारी रही।
वैज्ञैानिक डॉ. अंबिका प्रसाद शाह ने कहा कि हाल ही में परियोजना को मंजूरी मिली है। इसी साल पेसमेर कार्य शुरू करेंगे। करीब डेढ़ साल के भीतर मुख्य संरचना तैयार कर कंपनी के हवाले करने का लक्ष्य रखा गया है।
वैज्ञानिक डॉ. अंबिका प्रसाद ने कहा कि अब नए प्रौद्योगिकी से पता चलेगा कि मरीज को तीस मिनट में क्या हुआ है। इसका पता चलेगा । समय पर मोनिटरिंग भी हो पाएगी। इसके लिए नई सोच से काम किया जाएगा। जानकारी के अनुसार दिल की धड़कन को नियंत्रित रखने के लिए मरीज को पेसमेकर कृत्रिम पेसमेकर लगाया जाता है।
प्राकृतिक पेसमेकर का चिकित्सा उपकरण है।हृदय की मांसपेशियों से संपर्क करने के लिए इलेक्ट्रोड द्वारा प्रदत्त विद्युत आवेगों का उपयोग करता है। विशेषज्ञ ने कहा कि आधुनिक पेसमेकर बाह्य रूप से प्रोग्रामयोग्य होते हैं ।विभिन्न मरीजों के लिए अनुकूलतम पेसिंग मोड का चयन करने की हृदय रोग विशेषज्ञ को अनुमति देते हैं।
इंप्लांटेबल पेसमेकर चिप परियोजना के तहत जम्मू-कश्मीर में स्टार्ट अप को भी बढ़ावा दिया जाएगा। डॉ. अबिका प्रसाद शाम के अनुसार दो सालों के भीतर स्टार्ट अप आगे बढ़ाया जाएगा।इसमें बॉयोमेडिकल एपलीकेशन एरोस्पेस एपलीकेशन आदि विभिन्न प्रकार की एपलीकेशन को तैयार किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि स्टार्ट अप का अधिकांश लाभ जम्मू-कश्मीर को मिलेगा। साथ ही इसरो के लिए चिब भी बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि संस्थान में पहले इस तरह की परियोजना नहीं थी।लेकिन अब देश के विकास के लिए इस परियोजना का प्रयोग किया जाएगा।उसी को ध्यान में रखते हुए तीन कार्य पूरे करने का लक्ष्य रखा गया है।
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