जम्मू और कश्मीर

आतंकवाद से जुड़े पारिस्थितिकी तंत्र का ही खात्मा जरूरी, आतंक पर उपराज्यपाल सख्त

Gulabi
3 Dec 2021 10:14 AM GMT
आतंकवाद से जुड़े पारिस्थितिकी तंत्र का ही खात्मा जरूरी, आतंक पर उपराज्यपाल सख्त
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आतंक पर उपराज्यपाल सख्त
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि किसी आतंकी को मारने से आतंकवाद खत्म नहीं होगा। आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए आतंकवाद से जुड़े पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म करना जरूरी है। जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद को जड़ से खत्म करने की रणनीति पर काम किया जा रहा है। प्रदेश को जल्द आतंकवाद मुक्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
कश्मीर के राजनीतिक रोडमैप पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पहले ही कह चुके हैं कि परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव करवाए जाएंगे और फिर राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा। यह काम देश की संसद ही कर सकती है।
उपराज्यपाल ने एक साक्षात्कार में कहा कि आतंकवाद से किसी प्रकार का रिश्ता रखने वालों को सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं दिया जाएगा। देश के संविधान की धारा 311 2(सी) में राज्य के लिए खतरा, आतंकवाद को बढ़ावा देने जैसी परिस्थितियों में किसी को भी बिना कारण बताए सरकारी नौकरी से बर्खास्त किया जा सकता है। जम्मू-कश्मीर में ऐसे मामलों पर एक समिति काम कर रही है। ऐसे दोषी लोग सरकारी नौकरी के अलावा सरकारी मदद नहीं पा सकते हैं।
पाकिस्तान से नहीं, जम्मू-कश्मीर के लोगों से होगी बात
नेकां अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के कश्मीर में स्थिरता के लिए पाकिस्तान से बातचीत के सुझाव पर कहा कि भारत सरकार की नीति स्पष्ट है कि हम जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को विश्वास में लेकर उनसे ही बात करेंगे। इसमें तीसरे पक्ष से बात करने की गुंजाइश नहीं दिखती है।
कश्मीरी पंडितों की घर वापसी के लिए अनुकूल माहौल बनाया जा रहा
कश्मीरी विस्थापितों की घर वापसी के लिए अनुकूल माहौल पर सिन्हा ने कहा कि भारत सरकार के छह हजार नौकरी और छह हजार घरों के निर्माण पर वर्षों से गति से काम नहीं हो रहा था। इनमें 132 पदों को छोड़कर सारे भर दिए गए हैं और इनमें भी 80 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया है।
कश्मीरी विस्थापितों के लिए लगभग 3500 घर निर्माणाधीन और बाकी टेंडर किए जा रहे हैं, जिसमें अगले डेढ़ साल में आवास बनकर तैयार हो जाएंगे। जम्मू-कश्मीर में विकास को गति मिलने पर हताश पड़ोसी मुल्क ने कश्मीर में माहौल बिगाड़ने के लिए टारगेट किलिंग का सहारा लिया। लेकिन ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वाले आतंकियों में लगभग को मार गिराया गया है। हमारे लिए एक निर्दोष व्यक्ति की मौत सौ के बराबर है।
किसी भी दल को राजनीतिक गतिविधियों से रोका नहीं जा रहा
जम्मू-कश्मीर में भारतीय संविधान के तहत किसी भी दल को राजनीतिक गतिविधि करने से नहीं रोका जा रहा है। हाल ही के चुनावों में खुलकर लोग सामने आए। पिछले सात सालों की तुलना में इसी वर्ष सबसे अधिक पर्यटक पहुंचे।
अगले दो-ढाई साल में लोगों के सहयोग से कश्मीर का आगे का भविष्य भय मुक्त, भ्रष्टाचार मुक्त, लोकत्रांतिक व्यवस्था के साथ विकसित जम्मू-कश्मीर होगा जो भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देगा। जम्मू-कश्मीर के लिए अब तक 31 हजार करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव आ चुके हैं। जिसमें 15 हजार करोड़ के प्रस्तावों को स्वीकृति दी जा चुकी है।
370 हटने के बाद अभूतपूर्व बदलाव
अनुच्छेद 370 के हटने के बाद भारत के संविधान के तहत योग्य लोगों को अब नौकरी और शिक्षा में आरक्षण दिया जा रहा है। जाति को खत्म करके भूमि का हकदार बनाया गया है। जनजातीय समुदाय के लिए वन अधिकार अधिनियम लागू किया गया है। बहनों को संपत्तियों का अधिकार दिया गया है। जम्मू कश्मीर में अभूतपूर्व बदलाव आया है।
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