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जनता से रिश्ता वेबडेस्क | जम्मू-कश्मीर व लद्दाख उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को साल 2013 में केंद्रीय जेल में बंद एक विचाराधीन कैदी की मौत के मामले में सरकार को मृतक के परिवार को पांच लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। जेल में बंद मोहम्मद इस्माइल शाह की साथी कैदी ने ईंट मारकर हत्या कर दी थी।
न्यायाधीश संजय धर की पीठ ने कहा कि प्रतिवादियों (राज्य के अधिकारियों) ने खुद माना है कि जेल की इमारत बहुत पुरानी है। साथी कैदी ने जेल की दीवार से ईंट निकालकर मोहम्मद इस्माइल पर हमला किया। अधिकारियों की लापरवाही के कारण कैदी की मौत हो गई थी।
इसलिए, मृतक की हिरासत में मौत के लिए प्रतिवादी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते हैं। अदालत ने कहा कि मृतक मोहम्मद इस्माइल शाह हत्या मामले में विचाराधीन कैदी था, लेकिन अधिकारी जेल में उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के दायित्व से मुक्त नहीं थे।
कानून के अनुसार कैदी को उसके संवैधानिक अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता। शाह की असामयिक मृत्यु ने उनकी पत्नी, बेटों और बेटियों को उनके प्यार और स्नेह से वंचित कर दिया है, इसलिए वे मुआवजे के हकदार हैं।
अदालत ने सरकार को तीन महीने में पीड़ित परिवार को 5 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया। साथ ही कहा कि निश्चित अवधि में मुआवजा नहीं दिया तो फैसले की तारीख से 6 फीसदी प्रति वर्ष की दर से ब्याज देना होगा।
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