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- कैसे पहुंचा 700 साल...
अनदेखी और नकली चीजों के बढ़ते इस्तेमाल से हजरत शाह-ए-हमदान (आरए) द्वारा कश्मीर (जन्नत) में लाई गई 700 साल पुरानी कला दम तोड़ने लगी है। पेपर माशी शिल्पकला के प्रति लोगों की कम समझ और खरीदार नहीं मिलने से कारिगर मायूस हैं। अधिकतर ने इस ऐतिहासिक शिल्पकला से दूरी बना ली है। लेकिन अभी भी कुछ हैं, जो बदलते कश्मीर और पर्यटकों की संख्या बढ़ने से शिल्पकला की दशा में बदलाव का इंतजार कर रहे हैं।
श्रीनगर के नौपोरा इलाके के पेपर माशी कलाकार मोहम्मद यूनिस शाह (42) के अनुसार कश्मीर में इस कला को चैटिकाएम के नाम से जाना जाता है। इस कला से सैकड़ों कारिगर जुड़े हुए थे। लेकिन नकली कलाकृतियों के बढ़ते इस्तेमाल के चलते ज्यादातर ने इस कला को छोड़ दिया है। मौजूदा समय में पेपर माशी शिल्पकला के 13 कारिगर शामिल हैं।
हालांकि, पिछले कुछ महीनों में विदेशी पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई है। उम्मीद है कि आने वाले समय में बाजार बेहतर होगा। उन्होंने बताया कि पर्यावरण अनुकूल होने के कारण विदेशी इसे बहुत पसंद करते हैं। फिलहाल, कुछ लोगों को प्रशिक्षण दे रहा हूं और इसे जारी रखूंगा।