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संसद के मानसून सत्र में पहाड़ियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने संबंधी बिल पेश करने से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दोनों समुदायों के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को दिल्ली बुलाया है। मंगलवार को दोनों प्रतिनिधिमंडलों की गृह मंत्री से अलग-अलग मुलाकात प्रस्तावित है। माना जा रहा है कि गृह मंत्री दोनों समुदाय के लोगों को यह आश्वस्त करना चाहते हैं कि आरक्षण से किसी का हित प्रभावित नहीं होगा।
गुज्जर समुदाय का हिस्सा नहीं कटेगा। पहाड़ियों को अतिरिक्त आरक्षण का प्रावधान किया गया है। जम्मू-कश्मीर में अब तक पहाड़ियों को राजनीतिक आरक्षण नहीं है। मौजूद सत्र में आरक्षण संबंधी तीन बिल जम्मू कश्मीर अनुसूचित जाति संशोधन बिल 2023, जम्मू कश्मीर अनुसूचित जनजाति संशोधन बिल 2023 तथा जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल को लिस्ट किया है।
पहाड़ी भाषियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल किए जाने संबंधी बिल को मंजूरी दिया जाना है। इसकी पहाड़ी भाषी लंबे समय से मांग कर रहे हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर दौरे के दौरान एलओसी से सटे जिलों के पहाड़ी भाषियों को आश्वस्त किया था कि उन्हें आरक्षण का लाभ दिया जाएगा।
साथ ही यह भी भरोसा दिलाया था कि गुज्जरों के हित पर किसी प्रकार का चोट नहीं होगा। उन्हें जो हक मिल रहा है वह मिलता रहेगा। मानसून सत्र में बिल को लिस्ट किए जाने के साथ ही गुज्जर समुदाय की ओर से लामबंद होकर विरोध की रणनीति बनाई जाने लगी।
राजोरी, पुंछ के साथ ही कश्मीर में भी गुज्जर समुदाय के लोगों ने बैठकें तथा सभाएं कर पहाड़ियों को आरक्षण का विरोध करना शुरू कर दिया। उधर, पहाड़ी समुदाय जश्न की तैयारियों में जुट गए। इससे दोनों समुदायों के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई।
सूत्रों ने बताया कि किसी प्रकार के टकराव को टालने के लिए ही गृह मंत्री ने दोनों समुदायों की बैठक बुलाई है। दोनों समुदायों के प्रतिनिधिमंडल को जेके हाउस में ठहराया गया है। दोनों समुदायों के 25-25 लोगों को बुलाया गया है। गृह मंत्री उन्हें आश्वस्त करना चाहते हैं कि किसी पक्ष को नुकसान नहीं होने वाला है।
प्रतिनिधि मंडल में ये है शामिल
पहाड़ियों के प्रतिनिधिमंडल में पूर्व उप मुख्यमंत्री मुजफ्फर बेग, पूर्व मंंत्री मुश्ताक बुखारी, पूर्व एमएलसी विबोध गुप्ता, पूर्व एमएलसी रशीद कुरैशी, एडवोकेट मुर्तुजा खान, जहांगीर मीर, राजा एजाज, मजीद जिंदादिल, इकबाल मलिक प्रमुख रूप से शामिल हैं।
सके साथ ही गुज्जरों के प्रतिनिधिमंडल में पूर्व मंत्री चौधरी तालिब, पूर्व मंत्री अब्दुल गनी कोहली, पूर्व विधायक कमर हुसैन आदि हैं। पूर्व मंत्री मुश्ताक बुखारी का कहना है कि पहाड़ियों का प्रतिनिधिमंडल गृह मंत्री के बुलावे पर दिल्ली में है। उम्मीद है कि संसद के मानसून सत्र में आरक्षण का बिल पास हो जाएगा और पहाड़ियों की लंबे समय से चल रही मांग पूरी हो जाएगी।
तीन बिल प्रस्तावित
जम्मू कश्मीर से जुड़े तीन बिल को मानसून सत्र में संसद के पटल पर रखा जाना है। लोकसभा सचिवालय ने इसे सूचीबद्ध भी कर लिया है। यह तीनों बिल आरक्षण से जुड़े हुए हैं। इन तीन बिल में पहाड़ियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देना प्रस्तावित है।
यदि संसद सत्र हंगामे की भेंट न चढ़ा तो आरक्षण से जुड़े यह तीनों बिल पारित हो जाएंगे और लंबे समय से पहाड़ियों के आरक्षण संबंधी मांग को पूरा किया जा सकेगा। इसके साथ ही अन्य पिछड़ी जातियों को आरक्षण का प्रस्ताव भी है। इसमें जाट भी शामिल किए गए हैं। एससी बिल में वाल्मीकि समाज के छूटे हुए लोगों को शामिल किए जाने का प्रस्ताव है।