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पुलवामा में शहीद हुए जवानों के परिवारों को नौकरी दिलवाना.
पुलवामा धावा जम्मू और कश्मीर में सबसे खतरनाक आतंकवादी हमलों में से एक है जिसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 40 जवान शहीद हो गए थे. पुलवामा धावा 14 फरवरी, 2019 को हुआ था.
नयी दिल्ली. पुलवामा धावा जम्मू और कश्मीर में सबसे खतरनाक आतंकवादी हमलों में से एक है जिसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 40 जवान शहीद हो गए थे. पुलवामा धावा 14 फरवरी, 2019 को हुआ था, जब पुलवामा जिले में एक जैश आत्मघाती हमलावर ने 100 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक ले जा रहे एक गाड़ी से उनकी बस में भिड़न्त मार दी थी. हमले में कई लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए.
आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद ने हमले की जिम्मेदारी ली थी. पुलिस ने आत्मघाती हमलावर की पहचान पुलवामा के काकापोरा के आदिल अहमद उर्फ वकास कमांडर के रूप में की थी. 26 फरवरी, 2019 को 0330 बजे, मिराज 2000 भारतीय वायु सेना के लड़ाकू जेट विमानों के एक समूह ने एलओसी के पार जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख आतंकी शिविरों को नष्ट कर दिया.
पुलवामा हमले को लेकर हिंदुस्तान ने भले ही बदला ले लिया हो लेकिन जो जवान शहीद हो गये उनका परिवार हमेशा के लिए सूना हो गया. शहीद हुए जवानों के परिवार में से अभी कई लोगों को सरकारी जॉब नहीं मिली हैं. वह अपनी जॉब का प्रतीक्षा कर रहे हैं. अब गवर्नमेंट से जब संसद में पुलवामा में शहीद हुए जवानों के परिवार को जॉब नहीं मिलने पर प्रश्न किया उस पर गवर्नमेंट ने उत्तर दिया हैं.
सरकार ने बुधवार को कहा कि जम्मू कश्मीर के पुलवामा में 2019 में हुए आतंकी हमले में शहीद जवानों में से करीब एक दर्जन की विधवाओं को उनकी संतान के 18 साल की उम्र पूरा करने की प्रतीक्षा है ताकि वे सरकारी जॉब के लिए आवेदन कर सकें.
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को यह जानकारी दी.
उन्होंने बोला कि इस घटना में शहीदों के 19 निकट परिजनों को अनुकंपाके आधार पर जॉब दी जा चुकी है और तीन को जॉब दिए जाने की प्रक्रिया चल रही है.
पुलवामा में एक फरवरी 2019 कीआत्मघाती हमलावर द्वारा किए गए आतंकवादी हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 40 कर्मियों की जान गयी थी.
राय ने कहा कि 11 विधवाओं ने अपनी संतान के 18 साल का हो जाने तक प्रतीक्षा करने का फैसला किया है ताकि वे अनुकंपा के आधार पर सरकारी जॉब के लिए आवेदन कर सके.