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जम्मू और कश्मीर
कारगिल में बौद्ध मठ तक शांति पद यात्रा पर तनाव की आशंका
Ritisha Jaiswal
12 Jun 2022 10:02 AM GMT
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लद्दाख के मुस्लिम बहुल कारगिल जिला मुख्यालय में बौद्ध मठ तक शांति यात्रा को लेकर तनाव जैसे हालात बन रहे हैं
लद्दाख के मुस्लिम बहुल कारगिल जिला मुख्यालय में बौद्ध मठ तक शांति यात्रा को लेकर तनाव जैसे हालात बन रहे हैं। कारगिल लोकतांत्रिक गठबंधन के बैनर तले कई इस्लामी संगठनों ने शांति यात्रा निकाले जाने को कानून व्यवस्था के लिए खतरा बताया है। इस्लामी संगठनों ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर चेताया है कि पद यात्रा सियासी मंशा से निकाली जा रही है, जिससे हालात खराब हो सकते हैं। वहीं, लेह से निकली शांति यात्रा कारगिल के नजदीक मुलबेख मुख्यालय पहुंच गई है। कारगिल पहुंचने तक इसमें बौद्ध समुदाय से करीब एक हजार लोग शामिल होंगे।
इस बीच शनिवार को लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन (एलबीए) की कारगिल शाखा के पदाधिकारियों ने शांति पद यात्रा पर चर्चा करने के बाद सर्वसम्मति से पद यात्रा को बिना शर्त समर्थन करने का फैसला लिया। एलबीए यूथ विंग, महिला इकाई, गोबा और कारगिल शाखा के तहत सभी गांवों के प्रतिनिधियों की बैठक की अध्यक्षता करते हुए एसोसिएशन के कारगिल अध्यक्ष स्कर्मा दादुल समेत अन्य पदाधिकारियों ने कहा कि समूचा बौद्ध समुदाय आठवें चोसक्योंग पलगा रिंपोछे के नेतृत्व वाली शांति पद यात्रा का समर्थन करता है। एलबीए का युवा विंग इस पूरे आयोजन को अपनी देखरेख में संपन्न करवाएगा।
भड़काऊ भाषण की निंदा
बैठक में पदाधिकारियों ने आईकेएमटी कारगिल, इस्लामिया स्कूल कारगिल के प्रतिनिधियों की बयानबाजी को भड़काऊ करार देते हुए कड़े शब्दों में निंदा की। पदाधिकारियों ने कहा कि शांति पद यात्रा को लेकर जिस तरह के भाषण और बयान दिए गए हैं, उससे साफ है कि यह आम लोगों को उकसाने से प्रेरित है ताकि लद्दाख की शांति और कानून व्यवस्था खराब हो।
कारगिल में 1961 में बना था बौद्ध मठ
कारगिल जिले के मुख्य बाजार में वर्ष 1961 में बौद्ध मठ की एक मंजिला इमारत का निर्माण किया गया था। एलबीए के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि सरकार ने दो कनाल भूमि पर निर्माण की अनुमति दी थी, लेकिन सियासी दबाव बनाकर वर्ष 1969 में बौद्ध मठ के विस्तार पर रोक लगा दी गई। इस समय मठ में बौद्ध धर्म की पुस्तकें व साहित्य मौजूद है। यहां बौद्ध पद्धति से पूजा-पाठ भी होता है।
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Ritisha Jaiswal
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