जम्मू और कश्मीर

भारत और पाकिस्तान के बीच जारी संघर्ष विराम समझौता से सरहद पर अमन के अंकुर लगे फूटने

Bharti sahu
1 May 2022 2:13 PM GMT
भारत और पाकिस्तान के बीच जारी संघर्ष विराम समझौता से सरहद पर अमन के अंकुर लगे फूटने
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भारत और पाकिस्तान के बीच जारी संघर्ष विराम समझौता से सरहद पर अमन के अंकुर फूटने लगे हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | भारत और पाकिस्तान के बीच जारी संघर्ष विराम समझौता से सरहद पर अमन के अंकुर फूटने लगे हैं। अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सुचेतगढ़ बॉर्डर की ऑक्ट्राय पोस्ट पर बीएसएफ की ओर से वाघा सीमा की तर्ज पर परेड हो रही है। तो कश्मीर घाटी के बेहद संवेदनशील रहे केरन, गुरेज, तंगधार, माच्छिल सेक्टर और बंगस घाटी को भी सेना ने सैलानियों के लिए खोल दिया है।

कुछ इलाकों में होम स्टे खुल गए हैं। यहां सैलानियों की आमद भी शुरू हो गई है। सैलानी यहां से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को बेहद करीब से निहार कर रोमांचित हो रहे हैं। वहीं, पर्यटन विभाग ने इन इलाकों को बॉर्डर टूरिज्म के तहत अपनी सूची में शामिल कर लिया है। सेना के साथ मिलकर प्रशासन इन इलाकों को पर्यटकों के लिए नए केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना पर काम कर रहा है।
कई वर्षों से गोलाबारी प्रभावित इन इलाकों में अब पूरी तरह से अमन है। सेना और पर्यटन विभाग पिछले कुछ वर्षों से हर साल केरन उत्सव का आयोजन कर रहे हैं। केरन में 28 वर्षीय वकार खान ने पिछले महीने अपने तीन मंजिला घर को होम स्टे में बदल दिया है। मुंबई से आए पर्यटकों के पहले समूह ने यहां स्टे किया है। यहां से किशनगंगा नदी का दृश्य और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की नीलम घाटी का नजारा साफ दिखता है। वकार कहते हैं कि यह एक अनूठा अनुभव है जिसका पूरे देश के लोग आनंद ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि संघर्ष विराम के बाद हम सामान्य जीवन जी रहे हैं।
वकार ने कहा, हमारे पास होटल बनाने के लिए पैसे नहीं हैं। इसलिए हमने होम स्टे से शुरुआत की है। इससे हमें रोजगार मिलेगा। केरन सेक्टर में यह पहला होम स्टे है जिसे कश्मीर के सीमावर्ती इलाके में सफलतापूर्वक शुरू किया गया है, जहां पर्यटकों को सीमा की बाड़ से आगे स्थित क्षेत्रों में प्रवेश की अनुमति है।
केरन गांव पाकिस्तान से घुसपैठ को रोकने के लिए बनाई गई तारबंदी के बाहर स्थित है। यहां आने वाले लोग पाकिस्तान के नीलम गांव को देख सकते हैं जो किशनगंगा नदी के दूसरे किनारे पर है। यहां आने वाले पर्यटक न सिर्फ देश के आखिरी छोर को देख सकेंगे, बल्कि सेना के जवानों का भी हौंसला बढ़ा सकते हैं। पर्यटकों को एडवेंचर टूरिज्म के साथ ट्राउट मछली पकड़ने, राफ्टिंग, ट्रेकिंग आदि जैसे साहसिक पर्यटन गतिविधियों का भी आनंद मिल सकेगा।
सेना ने इन क्षेत्रों को पर्यटकों के लिए खोला
इन क्षेत्रों को जनता के लिए खोलने में भारतीय सेना ने प्रमुख भूमिका निभाई है। इन इलाकों में पूरी सुरक्षा व्यवस्था भारतीय सेना के अधीन है और ये न सिर्फ इन इलाकों की रक्षा कर रहे हैं बल्कि इन्हें पर्यटन स्थलों के रूप में प्रचारित भी कर रहे हैं। एक स्थानीय निवासी राजा सुहेल खान का कहना है कि हम भारतीय सेना के शुक्रगुजार हैं। हमें सेना से काफी सहयोग मिलता है और वे 24 घंटे हमारे साथ हैं। यह एक खूबसूरत जगह है और हम अपने घरों को होम स्टे बना रहे हैं। खान ने कहा कि युद्ध विराम के बाद यहां पूरी तरह से शांति है और हमें उम्मीद है कि देश भर से लोग हमसे मिलने आएंगे।
2007 में गुरेज घाटी पर्यटकों के लिए खोली थी
सरहदी इलाकों को पर्यटकों के लिए खोलने का काम उत्तरी कश्मीर के गुरेज से शुरू किया गया था। वर्ष 2007 में पहली बार गुरेज घाटी पर्यटकों के लिए खोली गई तो करीब 5000 पर्यटक आए थे, लेकिन सरहद पर गोलाबारी फिर से शरू होने पर आवाजाही रोक दी गई। केरन के रहने वाले आकम खान का कहना है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के नीलम घाटी क्षेत्र में गांव को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित किया है। वहां होटल और लॉज हैं और बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। अब हमें भी उम्मीद है कि सेना की मदद से हमारे यहां भी ऐसा ही विकास हो सकेगा।
पर्यटन को बढ़ावा देने से शांति-समृद्धि आएगी
सेना के अधिकारी ने कहा कि केरन सेक्टर में पर्यटन को बढ़ावा देने से न केवल शांति और समृद्धि आएगी बल्कि यहां के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। जमीनी स्थिति में सुधार के साथ प्रशासन बॉर्डर पर्यटन को खोलने की योजना बना रहा है और यात्रियों और आगंतुकों के लिए और अधिक सीमा क्षेत्रों को खोला जाएगा। सब कुछ ठीक रहा तो पर्यटक जल्द ही कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर बड़ी संख्या में जा सकेंगे। अधिकारियों का मानना है कि एलओसी से लगे सीमावर्ती जिलों बांदीपोरा, कुपवाड़ा और बारामुला में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। बांदीपोरा, कुपवाड़ा और बारामुला में बॉर्डर टूरिज्म की प्रक्रिया शुरू करने की शुरुआत के लिए पर्यटन विभाग ने पहले चरण में करनाह, गुरेज, उड़ी, बांगस घाटी जैसे स्थानों में बॉर्डर टूरिज्म शुरू करने का फैसला लिया है। इसी को देखते हुए पर्यटन विभाग ने गुरेज के बाद अगस्त 2021 में कुपवाड़ा जिले के बांगस घाटी में एक पर्यटन उत्सव आयोजित किया था।
टीटवाल, केरन में होगा उत्सव
जम्मू-कश्मीर पर्यटन विभाग ने हाल ही में अपनी सूची में 75 नए पर्यटन स्थलों को चिह्नित किया है। पर्यटन विभाग के सचिव सरमद हफीज ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में कुल चिह्नित किए गए नए 75 पर्यटन स्थलों में से 38 कश्मीर घाटी में हैं, जबकि 37 जम्मू में हैं। इनमें केरन, टीटवाल जैसे बॉर्डर इलाके भी हैं। सुचेतगढ़ में पहले से ही बॉर्डर टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा चुका है। हफीज ने कहा कि जिन इलाकों में क्षमता है उन इलाकों में सुविधाएं दी जाएंगी। साहसिक पर्यटन के साथ बॉर्डर टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा। सरमद हफीज ने कहा कि इन इलाकों के प्रचार के लिए टीटवाल, केरन के साथ अन्य इलाकों में उत्सव का आयोजन किया जाएगा। होम स्टे से स्थानीय लोगों की अर्थव्यवस्था बढ़ेगी। हफीज ने कहा कि सेना को विश्वास में लेकर ही पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। बॉर्डर टूरिज्म को लेकर सभी फैसले सेना और जिला प्रशासन के साथ मिलकर लिए जाएंगे।
पर्यटक नियंत्रण रेखा को देख सकेंगे
कश्मीर में पिछले 4 महीनों में रिकॉर्ड पर्यटक पहुंच हैं। घाटी के गुलमर्ग, पहलगाम, सोनामार्ग जैसे सभी प्रमुख पर्यटन स्थल अगले दो महीनों के लिए बुक हैं। इन स्थलों को बढ़ावा देने से कश्मीर घाटी में आने वाले पर्यटकों की भारी आमद को पूरा करने में भी मदद मिलेगी। पर्यटकों के लिए एक नया अनुभव रहेगा जो नियंत्रण रेखा को भी देख सकेंगे। किशनगंगा दरिया जिसके एक तरफ भारत है और दूसरी तरफ पीओके।


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