जम्मू और कश्मीर

परिसीमन आयोग ने सांसदों को सौंपी अंतरिम रिपोर्ट, जम्मू में पांच और कश्मीर में चार सीटें एसटी के लिए आरक्षित

Renuka Sahu
5 Feb 2022 2:11 AM GMT
परिसीमन आयोग ने सांसदों को सौंपी अंतरिम रिपोर्ट, जम्मू में पांच और कश्मीर में चार सीटें एसटी के लिए आरक्षित
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फाइल फोटो 

परिसीमन आयोग ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के निर्धारण से संबंधित अपनी अंतरिम रिपोर्ट शुक्रवार को सहयोगी सदस्यों यानी प्रदेश के पांच सांसदों को सौंप दी है। स

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। परिसीमन आयोग ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के निर्धारण से संबंधित अपनी अंतरिम रिपोर्ट शुक्रवार को सहयोगी सदस्यों यानी प्रदेश के पांच सांसदों को सौंप दी है। सहयोगी सदस्यों को अंतरिम रिपोर्ट पर सुझाव तथा आपत्तियों के लिए दस दिन का समय दिया गया है। शुक्रवार को दोपहर बाद आयोग की ओर से इसे अंतिम रूप देकर सदस्यों के पास भेजा गया। भाजपा के दो तथा नेकां के तीन सांसद आयोग में सहयोगी सदस्य हैं। एक सहयोगी सदस्य ने रिपोर्ट मिलने की पुष्टि की।

सूत्रों ने बताया कि अंतरिम रिपोर्ट में सभी विधानसभा सीटों की हदबंदी, नक्शा तथा आरक्षण का ब्योरा भी दिया गया है। अनुसूचित जाति की सात सीटों तथा अनुसूचित जनजाति की नौ सीटों की जानकारी भी है। बताते हैं कि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सात सीटों में जम्मू में तीन, सांबा, कठुआ, उधमपुर व डोडा में एक-एक सीटें हैं। पहले से आरक्षित सभी सात सीटों का रोस्टर बदलकर उन्हें अनारक्षित कर दिया गया है।
इसी प्रकार अनुसूचित जनजाति के लिए नौ आरक्षित सीटों में पांच जम्मू संभाग के राजोरी व पुंछ तथा चार कश्मीर संभाग में हैं। ज्ञात हो कि न्यायमूर्ति रंजना देसाई की अध्यक्षता वाली परिसीमन आयोग का कार्यकाल छह मार्च तक है। इसमें भाजपा सांसद व केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, जुगल किशोर शर्मा तथा नेकां सांसद डॉ. फारूक अब्दुल्ला, हसनैन मसूदी व मोहम्मद अकबर लोन सहयोगी सदस्य हैं।
आधे से अधिक सीटों की सीमाओं का पुन: निर्धारण
सूत्रों का कहना है कि परिसीमन की अंतरिम रिपोर्ट तैयार है। इसमें आधे से अधिक सीटों की सीमाओं का पुन: निर्धारण किया गया है। इस बात का ख्याल रखा गया है कि किसी भी विधानसभा की सीमा जिले से बाहर न हो। साथ ही प्रशासनिक क्षेत्र भी ओवरलैप न करे। पहले कई विधानसभा सीटों की सीमाएं ओवरलैप कर रही थीं। इससे प्रशासनिक कार्यों में व्यवहारिक दिक्कतें आ रही थीं। यह समस्या ज्यादातर पहाड़ी इलाकों में रही है। सूत्रों ने बताया कि कुछ विधानसभा सीटों के नाम भी बदले गए हैं। इनमें मां वैष्णो देवी तथा राजा बाहु के नाम पर एक-एक सीट हो सकती है। जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए सीटों का नाम बदले जाने का प्रस्ताव है।
अनुसूचित जनजाति की सीटें होंगी निर्णायक
परिसीमन में विधानसभा की सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 होनी है। प्रस्तावित मसौदे में जो सात सीटें बढ़ेंगी, उनमें छह सीटें जम्मू संभाग व एक सीट कश्मीर से है। इसमें सात सीटें अनुसूचित जाति और नौ सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। अनुसूचित जाति की सात सीटों के आरक्षण का रोस्टर इस बार बदल गया है क्योंकि 1996 से पिछले चार चुनाव में इन सीटों के आरक्षण में कोई बदलाव नहीं हुआ। पहली बार अनुसूचित जनजाति को आरक्षण का लाभ मिल रहा है। इसमें पहाड़ी समुदाय की ओर से भी एसटी का दर्जा दिए जाने की मांग तेज हुई है।
गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले साल अपने जम्मू दौरे में भी संकेत दिया था कि पहाड़ी समुदाय को आरक्षण का लाभ दिया जाएगा और वह दिन दूर नहीं जब पहाड़ी समुदाय से कोई व्यक्ति जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री बने। राजनीतिक हलकों में कहा जा रहा है कि जम्मू संभाग के राजोरी व पुंछ तथा कश्मीर संभाग के बारामुला व कुपवाड़ा में पहाड़ी समुदाय के लोग हैं जो सीमा पर हैं। अनुसूचित जनजाति की सीटें भी इन्हीं इलाकों में आरक्षित है। ऐसे में यह सीटें निर्णायक साबित होंगी।
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