जम्मू और कश्मीर

सुप्रीम कोर्ट में धारा 370 पर बहस

Sonam
10 Aug 2023 6:08 AM GMT
सुप्रीम कोर्ट में धारा 370 पर बहस
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जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान हुई दलीलों पर खुशी जताई है। शीर्ष अदालत, अनुच्छेद 370 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 को रद्द करने को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इसने पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया है। यह बातें उन्होंने बुधवार श्रीनगर में प्रेसवार्ता में कहीं।

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भाग्यशाली है कि उसे किसी भी बाधा का सामना नहीं करना पड़ता है, लेकिन हमारे लोगों को उन्हीं तर्कों के लिए या तो गिरफ्तार या फिर घर में नजरबंद कर दिया जाता है। संसद में लिए गए फैसले ने संविधान को रौंद दिया है। शीर्ष अदालत में दलीलों से यह स्पष्ट हो गया है कि संसद के पास अनुच्छेद 370 को तब तक निरस्त करने की कोई शक्ति नहीं है, जब तक कि जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा राष्ट्रपति को इसकी सिफारिश नहीं करती। उन्होंने कहा कि वहां कोई विधान सभा नहीं थी, (तत्कालीन जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल) सत्यपाल मलिक को संविधान सभा बनाया गया, उनके सलाहकारों को मंत्रिपरिषद बनाया गया, इससे बड़ा धोखा क्या हो सकता है? अपने क्रूर बहुमत का इस्तेमाल करके संसद को अपवित्र करना और इसका इस्तेमाल अवैध निर्णय लेने के लिए करना, इससे बड़ा संसद का अपमान क्या हो सकता है?

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कपिल सिब्बल सहित सभी वकील खुले तौर पर तर्क दे रहे हैं कि दुनिया में कोई ताकत नहीं है जो अनुच्छेद 370 को भी समाप्त कर सके। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ द्वारा नेशनल कांफ्रेंस के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की प्रशंसा पर महबूबा ने कहा कि भारत में शामिल होने के उनके दूरदर्शी निर्णय की परीक्षा थी। अगर सीजेआई स्वीकार करते हैं कि शेख मोहम्मद अब्दुल्ला का दो-राष्ट्र सिद्धांत को अस्वीकार करने और भारत के साथ हाथ मिलाने का निर्णय एक दूरदर्शी निर्णय था, तो यह उस दूरदर्शी निर्णय की परीक्षा है।

अभी तक उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान बैठने का नहीं जुटाया साहस

पीडीपी प्रमुख ने कहा कि उन्होंने अभी तक सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान बैठने का साहस नहीं जुटाया है। उन्होंने कहा कि मैं शुभचिंतकों को बताना चाहती हूं कि मेरे लिए और जम्मू-कश्मीर के अधिकांश लोगों के लिए अनुच्छेद 370 सिर्फ एक कानूनी या सांविधानिक मामला नहीं है। यह हमारी भावनाओं से जुड़ा है। मैंने पूरी कोशिश की है, लेकिन अभी तक अपने दिल को इतना मजबूत नहीं बना पाई हूं कि वहां जा सकूं, अदालत में बैठ सकूं और चर्चा सुन सकूं।

अदालत में बैठने, चर्चा सुनने का जुटा रही हूं साहस

पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि वह चर्चा सुनने का साहस नहीं कर सकती हैं, क्योंकि जब पहला चुनाव लड़ा था तो देश के साथ ही जम्मू-कश्मीर के संविधान की भी शपथ ली थी। देश के झंडे के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर के झंडे को भी बरकरार रखा है। इसलिए, व्यक्तिगत रूप से मेरे पास अदालत में बैठने और चर्चा सुनने का साहस नहीं है। लेकिन, मैं वहां जाने के लिए कुछ साहस जुटाने की कोशिश कर रही हूं। मेरे लिए यह दुविधा हो गई है कि अगर मैं वहां जाऊंगी तो अनुच्छेद 370 के खिलाफ दलीलें सुन पाऊंगी या नहीं?

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