जम्मू और कश्मीर

आज आयोजित हो रहा सरहद पर बाबा चमलियाल का मेला, BSF के अधिकारीयों ने दरगाह पर चढ़ाई चादर

Renuka Sahu
23 Jun 2022 6:32 AM GMT
Baba Chamliyals fair is being organized on the outskirts today, BSF officials climbed the dargah
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फाइल फोटो 

जम्मू संभाग के जिला सांबा के रामगढ़ क्षेत्र के सीमांत गांव दग में भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित बाबा चमलियाल का मेला आज आयोजित हो रहा है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जम्मू संभाग के जिला सांबा के रामगढ़ क्षेत्र के सीमांत गांव दग में भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित बाबा चमलियाल का मेला आज आयोजित हो रहा है। गुरुवार सुबह बीएसएफ के अधिकारियों ने बाबा चमलियाल की दरगाह पर चादर चढ़ाई। बाबा दलीप सिंह मन्हास की दरगाह, जिसे बाबा चमलियाल के नाम से जाना जाता है।

वहीं, स्थानीय दग छन्नी फतवाल के युवा क्लब की ओर से सुबह सात बजे चादर चढ़ाई जाने की रस्म अदा की गई। बाबा की मजार पर सुबह से ही लोगों आने शुरु हो गए हैं। दरगाह पर माथा टेकने वालों में काफी उत्साह देखा गया। कोरोना महामारी की पाबंदियों में दो साल मेला नहीं लग सका। इसलिए इस बार सांबा जिले के रामगढ़ में बाबा चमलियाल की मजार दोगुने इंतजामों की गवाह बन रही है।
मेले को लेकर विशेष यातायात नियम लागू
बाबा चमलियाल मेले को जोड़ने वाले संपर्क मार्ग नंदपुर, जेरडा, सामदू, रामगढ़, स्वांखा, छावनी, अबताल आदि मार्गों पर विशेष यातायात नियम लागू हैं। सभी मार्ग पर एक तरफा यातायात व्यवस्था है। चमलियाल मजार को जोड़ने वाले इन मार्गों पर पुलिस के साथ यातायात कर्मियों के नाके लगे हैं। बाबा के प्रमुख प्रवेशद्वार मजार से पांच सौ मीटर पीछे ही श्रद्धालुओं के वाहनों को रोका गया है। जिला प्रशासन की तरफ से वाहनों के लिए पार्किंग की व्यवस्था की गई है।
बीएसएफ ने की विशेष तैयारियां
अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाबा चमलियाल की दरगाह पर बीएसएफ की पोस्ट पर भी तैयारियां की गई हैं। यह पोस्ट चमलियाल के नाम से जानी जाती है। मेले वाले दिन बीएसएफ के बड़े-बडे़ अधिकारी और उनके परिवार के सदस्य मेला देखने पहुंचते हैं। कुछ वर्ष पहले मेला बीएसएफ के जवानों द्वारा सजाया जाता था। बाबा चमलियाल मेला आयोजन में बीएसएफ का अहम रोल होता था। पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा तक शक्कर शर्बत पहुंचाना बीएसएफ के जवानों का काम होता था। अभी ये सारा काम जिला प्रशासन की देखरेख में किया जा रहा है।
कहां लगता है मेला, कौन थे बाबा चमलियाल
सांबा के रामगढ़ क्षेत्र के सीमांत गांव दग में भारत-पाकिस्तान जीरो लाइन बॉर्डर पर ये मजार हिंदू राजपूत बाबा दलीप सिंह मन्हास की है, लेकिन इसे मुकद्दस मानने वालों में मजहब का कोई दायरा नहीं। 300 साल पहले आम लोगों को चर्म रोग से निजात दिलाकर हर दिल अजीज बने बाबा दलीप सिंह मन्हास को बाबा चमलियाल कहा जाता है।
सरहद के उस ओर भी लगता है मेला
बाबा चमिलयाल की याद में सरहद के इस तरफ आज मेले का आयोजन हो रहा है। उधर, सरहद पार पाकिस्तान में भी जश्न का माहौल है। पाकिस्तान के सैंदावली गांव में भी मेले का आयोज होता है। पाकिस्तान में एक हफ्ते तक मेला लगता है। दिन-रात सुनाई देती ढोल की थाप और स्वरलहरियां जश्न की गर्मजोशी बयां करती रहती हैं।
इसलिए सीमा के दोनों तरफ किए जाते हैं याद
माना जाता है कि अपनी रुहानी ताकत से बाबा दलीप सिंह मन्हास मिट्टी के लेप से चमड़ी के रोग झट से ठीक कर दिया करते थे। कुछ शरारती तत्वों को बाबा की नेकदिली रास नहीं आई और उनकी हत्या कर दी गई।
किवंदती है कि सिर सैंदावली में गिरा जो अब पाकिस्तान में है। बाबा का धड़ मुस्लिम बहुल चमलियाल में रह गया, जहां बाबा की मजार बना दी गई। बाबा को मानने वालों की कई पुश्तों ने दोनों जगह मेले आयोजित किए। भारत और पाकिस्तान के विभाजन ने सैंदावली को चमलियाल से अलग कर दिया, लेकिन बाबा की याद में मेले की रिवायत दोनों तरफ बरकरार रही। चमलियाल से मुस्लिम समुदाय के लोग पाकिस्तान जा चुके हैं, लेकिन यहां बाबा की मुकद्दस मजार पर हर बरस मेले लगते हैं।
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