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जम्मू और कश्मीर
विधानसभा चुनाव: जम्मू के लिए 6 और कश्मीर के लिए एक अतिरिक्त सीट का प्रस्ताव, NC, PDP का कड़ा विरोध
Deepa Sahu
20 Dec 2021 5:12 PM GMT
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विधानसभा क्षेत्रों की सीमा को नए सिरे से निर्धारित करने के मकसद से गठित परिसीमन आयोग ने जम्मू क्षेत्र में छह अतिरिक्त सीट और कश्मीर घाटी में एक अतिरिक्त सीट का प्रस्ताव रखा है.
विधानसभा क्षेत्रों की सीमा को नए सिरे से निर्धारित करने के मकसद से गठित परिसीमन आयोग ने जम्मू क्षेत्र में छह अतिरिक्त सीट और कश्मीर घाटी में एक अतिरिक्त सीट का प्रस्ताव रखा है. इस पर कई दलों ने आपत्ति जताई और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा कि वह रिपोर्ट पर इसके वर्तमान स्वरूप में हस्ताक्षर नहीं करेगी.
पीडीपी, जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी) ने भी आयोग की मसौदा सिफारिशों का कड़ा विरोध किया, जो जम्मू कश्मीर के चुनावी नक्शे को बदल देंगी. कश्मीर संभाग में फिलहाल 46 और जम्मू में 37 सीट हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार जम्मू क्षेत्र की जनसंख्या 53.72 लाख और कश्मीर संभाग की जनसंख्या 68.83 लाख है.
हालांकि, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बैठक के बाद कहा कि किसी भी सहयोगी सदस्य की ओर से कोई आपत्ति नहीं आई और "वास्तव में डॉ. अब्दुल्ला ने कहा कि आयोग के बारे में कुछ गलतफहमी थी ...."
The draft recommendation of the J&K delimitation commission is unacceptable. The distribution of newly created assembly constituencies with 6 going to Jammu & only 1 to Kashmir is not justified by the data of the 2011 census.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) December 20, 2021
सिंह ने कहा, ''उन्होंने अच्छा काम किया है. किसी भी पक्ष से कोई आपत्ति नहीं थी. अब परिसीमन आयोग ने सीट संख्या बढ़ाकर 90 करने का प्रस्ताव दिया है. उन्होंने अलग-अलग जिलों की जनसंख्या, पहुंच, स्थलाकृति और क्षेत्र के आधार पर वस्तुनिष्ठ मापदंडों का पालन किया है. मुझे नहीं लगता कि कोई इससे असंतुष्ट होगा. कोई भी राजनीतिक दल इसमें दोष नहीं ढूंढ़ सकता.''
फारुक अब्दुल्ला की पार्टी ने क्या कहा?
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपने ट्वीट में कहा, "दुर्भावनापूर्ण इरादे से तथ्यों को गलत तरीके से पेश और विकृत करना! बहुत ही भ्रामक बयान. हमने परिसीमन आयोग के मसौदे पर सीट बंटवारे की पक्षपाती प्रक्रिया पर अपनी नाराजगी स्पष्ट रूप से व्यक्त की है. पार्टी इस रिपोर्ट पर हस्ताक्षर नहीं करेगी."
पूर्व मुख्यमंत्री और पांच दलों वाले गुपकर गठबंधन (पीएजीडी) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने बैठक के बाद कहा कि वह समूह के साथ-साथ अपनी पार्टी के सहयोगियों को आयोग के विचार-विमर्श के बारे में जानकारी देंगे.
अब्दुल्ला ने कहा, "हम पहली बार बैठक में शामिल हुए क्योंकि हम चाहते थे कि जम्मू-कश्मीर के लोगों की आवाज सुनी जाए. बैठक सौहार्दपूर्ण तरीके से हुई और हम सभी को निष्कर्ष पर पहुंचने के वास्ते अपनाए गए तरीके के बारे में बताया गया."
वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ट्वीट किया कि यह बहुत निराशाजनक है और ऐसा लगता है कि आयोग ने आंकड़ों के बजाय बीजेपी के राजनीतिक एजेंडे को अपनी सिफारिशों को निर्देशित करने की अनुमति दी. उन्होंने कहा, "वादा किए गए 'वैज्ञानिक दृष्टिकोण' के विपरीत, यह एक राजनीतिक दृष्टिकोण है."
पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी की अध्यक्षता वाली जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी ने भी आयोग के प्रस्ताव को खारिज किया. इसने कहा, "यह हमारे लिए पूरी तरह से अस्वीकार्य है. अपनी पार्टी जनसंख्या और जिलों के आधार पर बिना किसी पूर्वाग्रह के निष्पक्ष परिसीमन कवायद की मांग करती है."
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि आयोग "केवल धार्मिक और क्षेत्रीय आधार पर लोगों को विभाजित कर बीजेपी के राजनीतिक हितों की सेवा के लिए बनाया गया है. असली गेम प्लान जम्मू-कश्मीर में एक ऐसी सरकार स्थापित करने का है, जो अगस्त 2019 के अवैध और असंवैधानिक निर्णयों को वैध करेगी.''वह अनुच्छेद 370 के तहत मिले जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को निरस्त करने और पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के केंद्र सरकार के फैसलों का जिक्र कर रही थीं.
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन ने कहा कि आयोग की सिफारिशें पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं. उन्होंने ट्वीट किया, "वे पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं. लोकतंत्र में विश्वास रखने वालों के लिए यह कितना बड़ा झटका है."
परिसीमन आयोग का बयान
इस बीच, परिसीमन आयोग द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि सहयोगी सदस्यों ने इस तथ्य की सराहना की कि आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश का दौरा किया और बड़ी संख्या में लोगों से मुलाकात की तथा उन्होंने आश्वासन दिया कि परिसीमन के काम में सभी आवश्यक सहायता प्रदान की जाएगी.
उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश रंजना देसाई की अध्यक्षता वाले आयोग की सोमवार को यहां दूसरी बैठक हुई. जम्मू-कश्मीर के पांच लोकसभा सदस्य आयोग के सहयोगी सदस्य और मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा इसके पदेन सदस्य हैं. उप चुनाव आयुक्त चंद्र भूषण कुमार ने सहयोगी सदस्यों के समक्ष प्रजेंटेशन देते हुए बताया कि पिछले परिसीमन के बाद से जिलों की संख्या 12 से बढ़कर 20 और तहसीलों की संख्या 52 से 207 हो गई है.
जिलों में जनसंख्या घनत्व किश्तवाड़ में 29 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी से लेकर श्रीनगर में 3,436 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी तक है. इन सभी को ध्यान में रखते हुए, परिसीमन आयोग ने सभी 20 जिलों को तीन व्यापक श्रेणियों ए, बी और सी में वर्गीकृत किया है, जिसमें जिलों को निर्वाचन क्षेत्रों के आवंटन का प्रस्ताव करते हुए प्रति विधानसभा क्षेत्र की औसत आबादी का 10 प्रतिशत (प्लस/माइनस) का अंतर दिया गया है.
आयोग ने कुछ जिलों के लिए एक अतिरिक्त निर्वाचन क्षेत्र बनाने का भी प्रस्ताव किया है ताकि अंतरराष्ट्रीय सीमा पर उनकी दुर्गम परिस्थितियों के कारण अपर्याप्त संचार और सार्वजनिक सुविधाओं की कमी वाले भौगोलिक क्षेत्रों के प्रतिनिधित्व को संतुलित किया जा सके.
जम्मू-कश्मीर में पहली बार जनसंख्या के आधार पर 90 सीट में से अनुसूचित जनजातियों के लिए नौ सीट आवंटित करने का प्रस्ताव है. अनुसूचित जाति के लिए सात सीट प्रस्तावित हैं. विधानसभा की 24 सीट खाली रहती हैं क्योंकि वे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के अंतर्गत आती हैं. सूत्रों ने बताया कि आयोग ने राजनीतिक दलों से सीट संख्या में प्रस्तावित वृद्धि पर 31 दिसंबर तक अपने विचार प्रस्तुत करने को कहा है.
अगस्त 2019 में संसद में जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक के पारित होने के बाद फरवरी 2020 में परिसीमन आयोग की स्थापना की गई थी. शुरू में, इसे एक वर्ष के भीतर अपना काम पूरा करने को कहा गया था, लेकिन इस साल मार्च में इसे एक वर्ष का विस्तार दिया गया, क्योंकि कोविड-19 महामारी के कारण काम पूरा नहीं हो सका. आयोग को केंद्र शासित प्रदेश में संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों को फिर से निर्धारित करने का काम सौंपा गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जून में जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ एक बैठक के दौरान कहा था कि परिसीमन की जारी कवायद जल्द पूरी होनी चाहिए ताकि एक निर्वाचित सरकार स्थापित करने के लिए चुनाव हो सके. आयोग ने इस साल 23 जून को एक बैठक की थी, जिसमें जम्मू और कश्मीर के सभी 20 उपायुक्तों ने भाग लिया था. इस दौरान विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों को भौगोलिक रूप से अधिक सुगठित बनाने के लिए विचार मांगे गए थे.
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