जम्मू और कश्मीर

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल के सलाहकार फारूक खान का इस्तीफा

Kunti Dhruw
20 March 2022 6:41 PM GMT
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल के सलाहकार फारूक खान का इस्तीफा
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जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के सलाहकार फारूक खान ने रविवार शाम को अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के सलाहकार फारूक खान ने रविवार शाम को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। अधिकारियों ने यहां यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि सेवानिवृत आईपीएस अधिकारी खान को भारतीय जनता पार्टी (BJP)में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाने वाली है। जम्मू कश्मीर में 1990 के दशक में आतंकवाद पर काबू पाने में खान का अहम योगदान रहा था। वह भाजपा के राष्ट्रीय सचिव रह चुके हैं तथा पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चे में कई पदों पर रहे हैं।


ऐसी संभावना है कि खान को इस केंद्रशासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव के वास्ते पार्टी को तैयार करने की जिम्मेदारी दी जाए। वैसे तो विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा अभी नहीं की गई है लेकिन अधिकारियों को उम्मीद है कि वर्तमान परिसीमन कार्य मई तक पूरा हो जाने पर अक्टूबर के बाद चुनाव कराये जायेंगे। अगस्त, 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाये जाने के बाद जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा वापस ले लिया गया था और उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया गया था।

जुलाई, 2019 में खान को तत्कालीन उपराज्यपाल सत्यपाल मलिक का सलाहकार नियुक्त किया गया था। उससे पहले वह लक्षद्वीप के प्रशासक थे। खान ने 1984 में एक पुलिस उपनिरीक्षक के तौर जम्मू कश्मीर में अपना करियर शुरू किया था और वह आगे चलकर पुलिस महानिरीक्षक बने थे। उन्हें 1994 में भारतीय पुलिस सेवा में प्रमोशन मिली थी। वह 1994 में तब सुर्खियों में आये जब उन्होंने अपनी इच्छा से पुलिस के एक विशेष कार्यबल की अगुवाई की। तब पुलिस बल का मनोबल बहुत नीचे था तथा सुरक्षा अभियान सेना एवं बीएसएफ द्वारा चलाये जा रहे थे।जम्मू के पुंछ के रहने वाले खान जम्मू के पुलिस उपमहानिरीक्षक थे और 2003 में प्रसिद्ध रघुनाथ मंदिर पर आतंकवादियों के कब्जे का खात्मा करने वाले दलों का नेतृत्व किया। पुलिस महानिरीक्षक तथा उधमपुर में शेर-ए-कश्मीर अकादमी प्रमुख के तौर पर सेवानिवृत होने के बाद खान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हो गये। राष्ट्रपति के पुलिस पदक तथा सेना एवं अन्य सुरक्षा एजेंसियों से प्रशस्ति पा चुके खान की भाजपा में प्रवेश को पुंछ एवं राजौरी क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने के कदम के रूप में देखा गया। उनके दादा कर्नल (सेवानिवृत) पीर मोहम्मद जनसंघ की जम्मू कश्मीर इकाई के पहले अध्यक्ष थे। वह महाराजा हरि सिंह की सेना में थे।


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