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जम्मू और कश्मीर
जम्मू-कश्मीर का 1.12 लाख करोड़ का बजट लोकसभा में पेश, शिक्षा पहली प्राथमिकता
Renuka Sahu
15 March 2022 1:46 AM GMT
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फाइल फोटो
केंद्र सरकार ने केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर के लिए खजाना खोलते हुए रिकॉर्ड 112950 करोड़ रुपये का बजट पेश किया है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। केंद्र सरकार ने केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर के लिए खजाना खोलते हुए रिकॉर्ड 112950 करोड़ रुपये का बजट पेश किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में केंद्र शासित प्रदेश का तीसरा बजट सोमवार को पेश किया। बीते वर्ष की तुलना में इस बार बजट में चार हजार करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की गई है। साल 2021-22 के लिए 1.08 लाख करोड़ का बजट पारित किया गया था। साल 2019 में अनुच्छेद 370 व 35ए को निरस्त करने और राज्य को दो हिस्से में विभाजित किए जाने के बाद केंद्र की ओर से पेश किया गया यह तीसरा बजट है।
कुल 112950 करोड़ रुपये के बजट में से 71615 रुपये राजस्व खर्च और 41335 रुपये पूंजीगत खर्च होगा। राजकोषीय घाटा 8970 करोड़ रुपये दिखाया गया है। वर्ष 2021-22 के लिए 18860.32 करोड़ रुपये की अनुपूरक अनुदान मांगें भी सदन में रखी गई हैं। बजट में शिक्षा को पहली प्राथमिकता दी गई है। शिक्षा के लिए 11832.77 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है। पिछले वर्ष की तुलना है शिक्षा बजट छह गुना अधिक है। पिछले बजट में शिक्षा के लिए 1873 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था।
इसके बाद गृह विभाग को 10831.28 करोड़ एवं सामान्य प्रशासन विभाग को 797.34 करोड़ रुपये आवंटित किये गए हैं। बजट में योजना विभाग के लिए 1129.59 करोड़, बिजली विभाग 8768.09 करोड़, उद्योग विभाग के लिए 1002.98 करोड़, कृषि के लिए 2835.39 करोड़ और सूचना विभाग के लिए 232.43 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। लोक निर्माण विभाग के लिए 6296.56 करोड़, स्वास्थ्य विभाग के लिए 7873.34 करोड़, समाज कल्याण के लिए 3202.71 करोड़ रुपये रखा गया है। पर्यटन के लिए 507.9 करोड़, बागवानी के लिए 646.93 करोड़ व ग्रामीण विकास के लिए 5443.17 करोड़ रुपये रखा गया है।
चुनाव एवं मंत्रिमंडल के लिए अलग से प्रावधान
बजट में चुनाव के लिए भी राशि का प्रावधान रखा गया है। इसके लिए 23458.26 लाख रुपये और मंत्रिमंडल के लिए 950 लाख रुपये रखे गये हैं।
अनुपूरक मांगें साथ में पेश करने पर सदन में हंगामा
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से बजट के साथ ही अनुपूरक मांगे पेश करने और बजट की प्रति देर से उपलब्ध कराने के मामले में सदन में जमकर हंगामा हुआ। विपक्ष ने खासतौर पर पेश किए जाने के दिन ही अनुपूरक मांगों पर चर्चा कराने के लिए कुछ नियमों को निलंबित किए जाने की वित्त मंत्री की मांग पर आपत्ति जताई। विपक्ष ने कहा कि इससे जुड़ा नियम 205 सदन चलाने की प्रक्रिया के बुनियादी नियमों का हिस्सा है। इसे निलंबित नहीं किया जा सकता।
अचानक बजट पेश करने पर भी आपत्ति
आरपीआई के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि बजट बेहद महत्वपूर्ण है। सरकार ने इसे बिना किसी पूर्व सूचना के पेश कर दिया। सदस्यों के पास इसकी प्रति भी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में बजट और अनुदान मांगों पर कैसे चर्चा की जा सकती है? कांग्रेस के मनीष तिवारी, टीएमसी के सुदीप बंदोपाध्याय ने भी प्रेमचंद्रन का समर्थन किया।
विपक्ष ने कहा पूरे नहीं हुए वादे
कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि जब अनुच्छेद 370 खत्म किया गया तब सरकार ने कई दावे किए थे। कहा था कि इससे राज्य में विकास होगा। आतंकवाद पर लगाम कसी जाएगी। मगर करीब ढाई साल बाद राज्य की स्थिति बदतर हुई है। उन्होंने सवाल किया कि आखिर वहां विधानसभा चुनाव क्यों नहीं कराए जा रहे। पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के मामले में सरकार स्थिति साफ क्यों नहीं कर रही?
कुल बजट 112950 करोड़
राजस्व खर्च 71615 करोड़
पूंजीगत खर्च 41335
राजकोषीय घाटा 8970 करोड़
अनुपूरक अनुदान 18860.32 करोड़ (वर्ष 2021-22 के लिए)
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