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पुस्तक मेलों और फ्लावर शो में फालुन दाफा अभ्यास का परिचय

Renuka Sahu
8 May 2023 7:21 AM GMT
पुस्तक मेलों और फ्लावर शो में फालुन दाफा अभ्यास का परिचय
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भारत में लोग सर्दियों के मौसम में पुस्तक मेलों और प्रदर्शनियों में जाने के लिए उत्सुक रहते हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत में लोग सर्दियों के मौसम में पुस्तक मेलों और प्रदर्शनियों में जाने के लिए उत्सुक रहते हैं। पिछले कुछ वर्षों में कोविड प्रतिबंधों के कारण बहुत कम प्रदर्शनियों का आयोजन हुआ। हालांकि, अब अनेक शहरों में पुस्तक मेलों, प्रदर्शनियों और फ्लावर शो का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर भारत के फालुन दाफा अभ्यासी भी इन मेलों में भाग ले रहे हैं और लोगों को इस अनोखे आध्यात्मिक अभ्यास से अवगत करा रहे हैं।

फालुन दाफा (जिसे फालुन गोंग के नाम से भी जाना जाता है) एक प्राचीन साधना अभ्यास है जिसमें पांच सौम्य व्यायाम सिखाये जाते हैं जिसमें ध्यान भी शामिल है। फालुन दाफा को पहली बार चीन में मई 1992 में श्री ली होंगज़ी द्वारा सार्वजनिक किया गया। आज, 100 से अधिक देशों में 10 करोड़ से अधिक लोग इसका अभ्यास कर रहे हैं। लेकिन दुःख की बात यह है कि चीन, जो फालुन दाफा की जन्म भूमि है, वहां 20 जुलाई 1999 से इसका दमन किया जा रहा है जो आज तक जारी है।


विभिन्न शहरों में पुस्तक मेलों का आयोजन
पिछले कुछ महीनों में पांडिचेरी, पुणे, कोलकता और दिल्ली में पुस्तक मेलों का आयोजन किया गया। इन पुस्तक मेलों में विभिन्न शहरों के फालुन दाफा अभ्यासियों ने भाग लिया। इन पुस्तक मेलों के दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने फालुन दाफा स्टालों का दौरा किया। अभ्यासियों ने नियमित रूप से फालुन दाफा के पांच व्यायामों का प्रदर्शन किया और अभ्यास के बारे में सूचना पत्रक वितरित किए। अभ्यासियों ने लोगों को कागज के कमल पुष्प भी बांटे। कई आगंतुकों ने फालुन दाफा अभ्यासों को सीखने में रुचि व्यक्त की और यह सुनकर आश्चर्य किया कि अभ्यासी हमेशा व्यायामों को पूरी तरह से निःशुल्क सिखाते हैं।
बैंगलोर की वार्षिक “चित्रा संते” कला प्रदर्शनी
बैंगलोर में इस वर्ष रविवार, 8 जनवरी को वार्षिक कला प्रदर्शनी “चित्रा संते” का आयोजन किया गया। इस प्रदर्शनी में 1200 से अधिक स्टालों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया और लाखों लोगों ने इस मेले का दौरा किया। फालुन दाफा अभ्यासियों ने भी इस अवसर पर स्टाल लगाया और लोगों को “सत्य करुणा सहनशीलता” से सम्बंधित कला चित्रों को प्रदर्शित किया। साथ ही उन्होंने लोगों को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा फालुन दाफा अभ्यासियों पर 23 वर्षों से चल रहे दमन के बारे में बताने के लिए फ़्लायर वितरित किए।
बैंगलोर फ्लावर शो
इस वर्ष जनवरी में बैंगलोर के लालबाग उद्यान में लोकप्रिय पुष्प प्रदर्शनी आयोजित की गई। इस अवसर पर फालुन दाफा अभ्यासियों ने भी एक स्टाल लगाया, जहां उन्होंने व्यायामों का प्रदर्शन किया और अभ्यास के बारे में जानकारी वितरित की। फ्लावर शो का मुख्य आकर्षण फूलों से बना एक विशाल म्यूरल था जिसमें एक कमल पुष्प को हाथों में थामे हुए दर्शाया गया था। म्यूरल पर एक ओर इंग्लिश और दूसरी ओर कन्नड़ भाषा में लिखा था – “विश्व को आवश्यकता है सत्य, करुणा, सहनशीलता की”, जो फालुन दाफा के मूल नियम हैं। इस म्यूरल को सभी लोग सराह रहे थे और बहुत से युवा इसके आगे सेल्फी खिंचा रहे थे।
भारतीय फालुन दाफा अभ्यासी निस्वार्थ रूप से देश भर में इस अनोखे अभ्यास का प्रचार प्रसार कर रहे हैं। फालुन दाफा लोगों को अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त करने, उनके मन को शांत करने और जीवन में सही राह दिखाने में मदद कर रहा है। यदि आप यह अभ्यास सीखने के इच्छुक हैं, तो www.LearnFG.in पर नि:शुल्क वेबिनार के लिए रजिस्टर कर सकते हैं। इस अभ्यास के बारे में अधिक जानकारी आप www.falundafa.org पर देख सकते हैं।
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