Rahul Gandhi : कांग्रेस नेता राहुल गांधी लोकसभा की सदस्यता गंवाने वाले अपने परिवार में इकलौते सदस्य नहीं हैं। उनसे पहले उनकी मां सोनिया गांधी और दादी इंदिरा गांधी को भी अलग-अलग कारणों से लोकसभा की सदस्यता छोड़नी पड़ी थी।
1971 में कांग्रेस को बहुमत मिला था। रायबरेली से जीतकर इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनी थीं। चार साल बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने चुनाव में धांधली के केस में इंदिरा को दोषी ठहराते हुए उनकी सदस्यता रद्द कर दी थी। साथ ही उन्हें छह साल के लिए अयोग्य घोषित किया था। इसी के बाद इंदिरा ने देश में आपातकाल लगा दिया था।
दूसरी घटना मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली जनता पार्टी की सरकार के दौरान की है। आपातकाल के बाद 1977 में कांग्रेस की करारी हार हुई थी। बाद में 1978 में कर्नाटक की चिकमंगलूर सीट से उपचुनाव जीतकर इंदिरा गांधी लोकसभा पहुंची थीं। जनता पार्टी सरकार ने इंदिरा पर प्रधानमंत्री रहते हुए सरकारी अधिकारियों का अपमान करने और कार्यालय के दुरुपयोग का आरोप लगाया था। जांच के लिए विशेषाधिकार समिति का गठन किया गया।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में इंदिरा पर लगाए गए आरोपों को सही पाया। सदन ने इंदिरा की संसद सदस्यता रद्द करने और उन्हें जेल भेजने का फैसला किया। इसे जनता पार्टी सरकार की सबसे बड़ी राजनीतिक भूल कहा जाता है। जनता सरकार गिरने के बाद 1980 में हुए मध्यावधि चुनावों में इंदिरा के नेतृत्व में कांग्रेस की बड़ी जीत हुई।
2006 में लाभ के पद का मामला जोरों से उठा था। कांग्रेस के नेतृत्व में संप्रग (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) की सरकार थी। रायबरेली से सांसद सोनिया उस समय कांग्रेस अध्यक्ष थीं। साथ ही वह सरकार द्वारा गठित राष्ट्रीय सलाहकार समिति की चेयरमैन भी थीं, जिसे लाभ का पद माना गया। इस कारण सोनिया को लोकसभा से इस्तीफा देना पड़ा था। बाद में सोनिया ने फिर रायबरेली से चुनाव लड़ा और बड़ी जीत हासिल की।