
नई दिल्ली: आईआईटी मंडी के वैज्ञानिकों ने पर्यावरण के अनुकूल माइक्रोजेल विकसित किए हैं जो कृषि में कीटनाशकों और उर्वरकों के उपयोग को कम कर सकते हैं और कृषि को टिकाऊ बना सकते हैं। आईआईटी मंडी की सहायक प्रोफेसर गरिमा अग्रवाल ने कहा कि रसायनों के अत्यधिक उपयोग से निवेश बढ़ता है और भूजल, मिट्टी और मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस नकारात्मक प्रभाव को कम करने और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए माइक्रोजेल उपयोगी हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि इन्हें स्मार्ट डिलीवरी सिस्टम के रूप में इस्तेमाल कर समस्या का समाधान किया जा सकता है।कीटनाशकों और उर्वरकों के उपयोग को कम कर सकते हैं और कृषि को टिकाऊ बना सकते हैं। आईआईटी मंडी की सहायक प्रोफेसर गरिमा अग्रवाल ने कहा कि रसायनों के अत्यधिक उपयोग से निवेश बढ़ता है और भूजल, मिट्टी और मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस नकारात्मक प्रभाव को कम करने और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए माइक्रोजेल उपयोगी हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि इन्हें स्मार्ट डिलीवरी सिस्टम के रूप में इस्तेमाल कर समस्या का समाधान किया जा सकता है।कीटनाशकों और उर्वरकों के उपयोग को कम कर सकते हैं और कृषि को टिकाऊ बना सकते हैं। आईआईटी मंडी की सहायक प्रोफेसर गरिमा अग्रवाल ने कहा कि रसायनों के अत्यधिक उपयोग से निवेश बढ़ता है और भूजल, मिट्टी और मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस नकारात्मक प्रभाव को कम करने और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए माइक्रोजेल उपयोगी हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि इन्हें स्मार्ट डिलीवरी सिस्टम के रूप में इस्तेमाल कर समस्या का समाधान किया जा सकता है।