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
राजधानी से सटे हीरानगर के पास हुए बस हादसे ने सरकार के आपदा प्रबंधन के दावों की पोल खोल कर रख दी। घटना स्थल पर अव्यवस्था का आलम रहा। घायलों का अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस समय से नहीं पहुंची।
अरे मुझे निकालो, बहुत दर्द हो रहा है। मेरे बीबी बच्चे छूट गए, कुछ तो करो। नगरोटा से शिमला आई रही बस के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद बस के नीचे दबा युवक दर्द से कराहते हुए बार-बार यही बोल रहा था। कड़ी मशक्कत के बाद 5:45 बजे युवक को बस के नीचे से निकाल कर अस्पताल भेजा जा सका। कमर तक बस के नीचे दबा युवक करीब तीन घंटे तड़पता रहा। राहत कार्य के लिए मौके पर पहुंची क्रेन की वायर ही टूट गई। दोपहर 2:30 बजे हादसा हुआ और दूसरी क्रेन पहुंचने में दो घंटे लग गए। राजधानी से सटे हीरानगर के पास हुए बस हादसे ने सरकार के आपदा प्रबंधन के दावों की पोल खोल कर रख दी।
घटना स्थल पर अव्यवस्था का आलम रहा। घायलों का अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस समय से नहीं पहुंची। लोगों ने निजी वाहनों में घायलों को अस्पताल पहुंचाया। 4:40 बजे डाक्टर मौके पर पहुंचे और युवक को दर्द निवारक इंजेक्शन दिया गया। युवक को निकालने के लिए गैस कटर 4:50 बजे घटना स्थल पर पहुंचा। भारी बारिश के बावजूद पुलिस के जवान घायलों को खाई से निकालकर सड़क तक पहुंचाने के लिए लगातार जूझते रहे। रस्सियों के सहारे खाई से घायलों को सड़क तक पहुंचाया गया। गनीमत रही की बस पेड़ में अटक कर रुक गई। अगर पेड़ न होता तो नुकसान और अधिक हो सकता था।
समय पर नहीं पहुंचे उपकरण
घटना स्थल पर अव्यवस्था देखकर लोग भड़क गए। राहत कार्य में सहयोग कर रहे पूर्व सैनिक मनोहर सिंह ने कहा कि समय पर क्रेन और कटर न पहुंचने से समस्या पेश आई। पुलिस तो समय से पहुंच गई लेकिन राहत कार्य के लिए जरूरी उपकरण नहीं लाए गए। प्रदेश की राजधानी में यह हाल है, अगर हादसा दूर दराज क्षेत्र में हुआ होता तो हाल बुरे होते।
दुर्घटनास्थल पर न मंत्री पहुंचे न अन्य कोई नेता
शहरी विकास मंत्री घायलों का हाल जानने आईजीएमसी तो पहुंचे लेकिन घटना स्थल पर राहत कार्यों का जायजा लेने कोई नहीं आया। इस पर भी लोगों ने सवाल उठाए हैं।
अयोध्या का अमित जिंदगी से लड़ रहा जंग
उत्तर प्रदेश के अयोध्या का निवासी अमित विश्वकर्मा 24 पुत्र अरविंद विश्वकर्मा अस्पताल में जिंदगी और मौत से लड़ रहा है। पेशे से अमित कारपेंटर का काम करता है। एक हफ्ते पहले ही उत्तर प्रदेश से सोलन आया था। अमित दाड़लाघाट से बस में चढ़ा था और शिमला सामान लेने आ रहा था। हादसे में वह बस के नीचे फंसा था। इससे इसके दोनों पांव फेक्चर हो गए हैं। ठेकेदार रंजीत ने बताया कि उसके 6 माह और 6 साल की दो बेटियां है। पत्नी भी बच्चों के साथ दाड़लाघाट आई हुई हैं। शाम 6:00 बजे पत्नी को हादसे के बारे में पता लगा।
बस हादसे के दौरान धमाके की आवाज सुनकर स्थानीय लोग सहम गए। एकाएक मोबाइल पर सूचना दी गई कि हीरानगर के पास सड़क से एक एचआरटीसी की बस खाई में जा गिरी है। सूचना मिलते ही क्यार, टुटू, ढांडा राही, गिरब, बायचड़ी और जबलोग गांव के अशोक, जोंगेंद्र, सुभाष, राजू, कमलेश, रितेश शर्मा, दीगु शर्मा, अनुराधा शर्मा, प्यारे लाल कंवर और नरेश मौके पर मदद के लिए पहुंचे। इसके अलावा भी बड़ी संख्या में लोग मदद के लिए मौके पर पहुंच गए थे। इसके बाद घायलों को सड़क पर पहुंचाया गया। इस दौरान बेल्डर का काम करने वाले पवन की मदद को लोगों ने खूब सराहा।
आईजीएमसी के बाहर बजते रहे एंबुलेंस के सायरन
हादसे के बाद एंबुलेंस गाड़ियां सायरन बजाते हुए आईजीएमसी पहुंचीं। अस्पताल प्रबंधन और सुरक्षा कर्मियों की मुस्तैदी के कारण इमरजेंसी वार्ड खाली करवाया गया। अस्पताल के भीतर सीएमओ, ऑर्थो, सर्जरी और मेडिसिन विभाग के चिकित्सकों के अलावा स्टाफ नर्सों ने यहां दाखिल मरीजों को शिफ्ट करवाकर बिस्तरों को खाली करवाया। इसके बाद घायलों का उपचार किया। अस्पताल में देर शाम तक मरीजों का उपचार चलता रहा।